पहलगाम आतंकी हमला मामले में जांच एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है। आतंकियों की मदद करने वाले मोहम्मद यूसुफ कटारिया को गिरफ्तार किया गया है। उसे 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। कटारिया संविदा पर काम करता था और बच्चों को पढ़ाता था।
Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल 2025 को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने हमला किया था। इसके चलते 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से 25 पर्यटक थे। इस घटना के 5 महीने बाद सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है।
पहलगाम में हमला करने वाले आतंकियों की मदद करने वाले एक व्यक्ति को सुरक्षा एजेंसियों ने बुधवार को गिरफ्तार किया। उसने पाकिस्तान समर्थित द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के आतंकवादियों की सहायता की थी। आरोपी की पहचान मोहम्मद यूसुफ कटारिया के रूप में हुई है। 26 साल का कटारिया जम्मू-कश्मीर के कुलगाम का रहने वाला है। उसने आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया था। गिरफ्तारी के बाद उसे 14 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है। इस दौरान उससे पूछताछ होगी।
कैसे खुली मोहम्मद यूसुफ कटारिया की पोल?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद से सुरक्षा एजेंसियों को उन लोगों की तलाश थी, जिनकी मदद से आतंकियों ने इस वारदात को अंजाम दिया। ऑपरेशन महादेव के दौरान पहलगाम में निहत्थे लोगों का खून बहाने वाले आतंकियों को मार गिराया गया। उनके पास से मिले हथियारों की जांच के दौरान एजेंसियों को मोहम्मद यूसुफ कटारिया द्वारा की गई मदद की जानकारी मिली। इसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया।
कुछ महीने पहले आतंकवादियों के संपर्क में आया था यूसुफ कटारिया
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार कटारिया संविदा पर काम करता था। वह स्थानीय बच्चों को पढ़ाता था। कुछ महीने पहले आतंकवादियों के संपर्क में आया और उनकी गतिविधियों में मदद करने लगा।
जांच से पता चला कि उसने पहलगाम आतंकी हमले से महीनों पहले लश्कर के आतंकियों को कुलगाम के जंगलों से होकर निकलने में मदद की थी। जांचकर्ता पहलगाम हमलावरों की पिछली गतिविधियों, ठिकानों, जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के समय से उन्हें प्राप्त ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) की मदद का भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
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जून में NIA (National Investigation Agency) ने घोषणा की कि उसने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने हमलावरों को रहने की जगह और रसद सहायता दी थी। दोनों की पहचान परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद जोथर के रूप में हुई थी। उन्होंने हमले में शामिल तीन आतंकवादियों के नाम भी बताए थे। एक महीने बाद जुलाई में तीनों आतंकवादी टॉप लश्कर कमांडर सुलेमान शाह, अफगान और जिब्रान ऑपरेशन महादेव के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए। 22 अप्रैल के नरसंहार के बाद उन्हें पनाह देने वालों ने उनकी पहचान पहलगाम हमलावरों के रूप में की।
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