सार
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) पेश कर दिया। इस बिल के पास होने के बाद महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
Women Reservation Bill. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए संसद भवन में कार्यवाही के दौरान पहला बिल पेश किया। यह बिल महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करता है। इस बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है। इस बिल के पास होने के बाद लोकसभा और राज्यसभा में हर तीसरी सांसद महिला होंगी।
महिला आरक्षण बिल से क्या बदलाव होगा
इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 होगी, जो कि इस वक्त सिर्फ 82 है। यानि 181 सीटों पर सिर्फ महिलाएं की चुनकर संसद पहुंचेंगी। इस बिल के अनुच्छेद 239एए में दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू होगा। यह बिल सिर्फ लोकसभा, राज्यसभा तक नहीं बल्कि सभी राज्यों की विधानसभाओं के लिए भी लागू हो जाएगा।
15 साल बाद फिर लाना होगा बिल
फिलहाल महिलाओं को आरक्षण देने वाला यह बिल 15 साल तक लागू रहेगा। इसे कंटीन्यू करना है तो 15 साल के बाद फिर से बिल लाना होगा। एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं मिलेगा। इस आरक्षण की व्यवस्था आरक्षण के भीतर ही की गई है। इस समय लोकसभा में 84 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। कानून बनने के बाद 84 में से 28 सीटें एससी महिला के लिए आरक्षित होंगी।
ओबीसी महिलाओं के लिए बिल में क्या है
लोकसभा में ओबीसी के लिए फिलहाल कोई आरक्षण नहीं है हालांकि अब कानून बनने के बाद 137 सीटें सामान्य और ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। महिलाओं के लिए आरक्षण के अलावा का लाभ यह है कि वे बिना आरक्षण वाली सीटों से भी चुनाव लड़ सकती हैं। राज्यसभा में यह बिल लागू नहीं होगा। यह सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं पर लागू होगा।
कब से लागू होगा नया बिल
कानून बनने के बाद भी इस बिल को लागू होने में वक्त लग सकता है। जानकारी के अनुसार परिसीमन के बाद ही इसे लागू किया जाएगा और यह परिसीमन 2026 में होना है। यानि 2024 के लोकसभा चुनावों में यह बिल कारगर नहीं होगा।
क्या है संसद-विधानसभाओं में महिला भागीदारी
देश की संसद और ज्यादातर विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत से भी कम है। सरकारी डाटा बताता है कि 19 विधानसभाओं में महिला भागीदारी 10 प्रतिशत से भी कम है। संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए यह बिल लाया गया है।
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