सार
पीएम मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट (Cabinet meeting) बुधवार को तीन कृषि कानूनों की वापसी की मंजूरी दे दी। शीतकालीन सत्र में इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा।
नई दिल्ली। बीजेपी (BJP) ने अपने राज्यसभा सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी की है। व्हिप जारी कर निर्देश दिया गया है कि पार्टी के सभी राज्यसभा सांसद 29 नवंबर को सदन में मौजूद रहें। बताया जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन 29 नवंबर को पार्टी तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) की वापसी के लिए विधेयक पेश कर सकती है। बुधवार को मोदी कैबिनेट ने तीनों कानूनों की वापसी पर मुहर लगाई थी।
क्या कहा गया है व्हिप में?
बीजेपी द्वारा जारी व्हिप के मुताबिक, सांसदों को राज्यसभा में उपस्थित रहने को कहा गया है। कहा गया है कि सोमवार को एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा होगी और इसे पास कराया जाएगा।
कैबिनेट ने कर दिया अप्रूव
तीन कृषि कानूनों को वापस करने के लिए केंद्र सरकार की कैबिनेट ने बुधवार को मुहर लगाई। पीएम मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट (Cabinet meeting) बुधवार को तीन कृषि कानूनों की वापसी की मंजूरी दे दी। शीतकालीन सत्र में इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। गुरुपर्व पर पीएम ने देश और किसानों से इन तीन कृषि कानूनों के लिए माफी मांगी थी और वापस लेने का ऐलान किया था।
सत्र के पहले दिन ही वापसी बिल होगा पेश
तीनों कृषि कानूनों की वापसी संबंधी बिल केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन पेश कर सकते हैं।
किसान नेताओं ने भी किया बड़ा ऐलान
उधर, पीएम मोदी के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने भी मीटिंग की थी। इस मीटिंग में किसान आंदोलन के सभी वरिष्ठ नेता शामिल रहे। मीटिंग में कृषि कानूनों को निरस्त करने को लेकर चर्चा करने के साथ यह निर्णय हुआ कि आंदोलन के पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को जारी रखा जाएगा। 22 को किसानों का लखनऊ में किसान पंचायत हुआ। अन्य कार्यक्रम भी प्रस्तावित है जिसकी तैयारियां चल रही हैं। इन कार्यक्रमों में संसद तक किसानों का मार्च भी शामिल है।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसान नेताओं की मीटिंग के निर्णय के बारे में बताते हुए कहा कि एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम यथावत जारी रहेंगे। लखनऊ में किसान पंचायत के बाद 26 को सभी सीमाओं पर सभा और 29 को संसद तक मार्च होगा। उन्होंने यह भी बताया कि अन्य निर्णय के लिए 27 नवंबर को एसकेएम की एक और बैठक होगी। तब तक की स्थिति के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री को पत्र
कृषि कानूनों व अन्य मांगों पर किसानों ने पीएम को ओपन लेटर लिखा। पत्र के माध्यम से किसानों की लंबित मांगों को बताया है। इसमें एमएसपी समिति, उसके अधिकार, उसकी समय सीमा, उसके कर्तव्य; विद्युत विधेयक 2020 आदि मामलों की वापसी के अलावा हम लखमीपुर खीरी मामले में मंत्री (अजय मिश्रा टेनी) को बर्खास्त करने के लिए पत्र लिखा है।
एक साल से आंदोलित हैं किसान
किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से आंदोलित हैं। 26 नवम्बर को किसान आंदोलन का दिल्ली के बार्डर्स पर डेरा डाले एक साल पूरा हो जाएगा। आंदोलन को धार देते हुए किसान पिछले एक साल से घर वापस नहीं लौटे हैं। इन तीनों कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच टकराव चल रहा। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान विशेष रूप से इन कानूनों का विरोध कर रहे थे। जानकार मानते हैं कि यूपी और पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने कानूनों को वापस लेना किसानों को मनाने और राजनीतिक नुकसान से बचने की कवायद है।
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