सार
शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में, दो विधेयक- कृषि कानून निरसन विधेयक और बांध सुरक्षा विधेयक, राज्यसभा में पास किया गया। जबकि 67 सूचीबद्ध तारांकित प्रश्नों में से 23 का जवाब मौखिक रूप से दिया है। वहीं, 8 सूचीबद्ध प्रश्नों को हटा दिया गया क्योंकि वे प्रश्न निलंबित सांसदों द्वारा पूछे गए थे।
नई दिल्ली। संसद (Parliament) के शीतकालीन सत्र (Winter Session) का पहला हफ्ता का काफी समय व्यवधानों और विरोध प्रदर्शनों में खप गया। पहले हफ्ते में राज्यसभा (Rajya Sabha) की कार्यवाही के लिए तय समय का 52 प्रतिशत बर्बाद गया। कार्यवाही के लिए तय समय का सिर्फ 47.70 फीसदी ही इस्तेमाल हो पाया। 12 सांसदों के निलंबन (Suspended MPs) और अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के प्रदर्शन के कारण सदन की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ा था। हालांकि, पहले हफ्ते के आखिरी दो दिनों में सदन की प्रोडक्टिविटी अच्छी रही है। माना जा रहा है कि गुरुवार और शुक्रवार की तरह ही सोमवार को भी सदन सही और सामान्य तरीके से ही चल सके।
गुरुवार व शुक्रवार को हाईप्रोडक्टिविटी रही सदन की
शुक्रवार को राज्यसभा में कामकाज 100 फीसदी हुआ और इससे पहले गुरुवार को 95 फीसदी प्रोडक्टिविटी रही। पिछले सप्ताह के दौरान सदन की प्रोडक्टिविटी 47.70 प्रतिशत रही है। सदन गुरुवार को निर्धारित समय से 33 मिनट के लिए चला जिससे सप्ताह के लिए कुल उत्पादकता बढ़कर 49.70 प्रतिशत हो गई। सदन शुक्रवार को पूरे ढाई घंटे के निर्धारित समय के लिए गैर-सरकारी सदस्यों के लिए कार्यरत रहा। पिछली बार ऐसा 7 फरवरी, 2020 को बजट सत्र के दौरान हुआ था।
पहले हफ्ते में दो विधेयक पास
शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में, दो विधेयक- कृषि कानून निरसन विधेयक और बांध सुरक्षा विधेयक, राज्यसभा में पास किया गया। जबकि 67 सूचीबद्ध तारांकित प्रश्नों में से 23 का जवाब मौखिक रूप से दिया है। वहीं, 8 सूचीबद्ध प्रश्नों को हटा दिया गया क्योंकि वे प्रश्न निलंबित सांसदों द्वारा पूछे गए थे। शुक्रवार को राज्यसभा में 22 प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया गया, जिसमें एक पर चर्चा हुई। इनमें से संविधान की प्रस्तावना में संशोधन की मांग वाले एक विधेयक को रोक दिया गया।
निलंबन वापसी को लेकर उग्र हैं विपक्षी सांसद
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू (M.Venkaiah Naidu) ने शुक्रवार को कुछ विपक्षी नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात की। इन नेताओं ने 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने की विपक्ष की मांग पर दोनों पक्षों से चर्चा करने का अनुरोध किया। विपक्षी सांसद निलंबन के मुद्दे पर लगातार सदन के भीतर और संसद परिसर में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्षी सदस्यों ने निलंबन के कदम को "अलोकतांत्रिक" और "चयनात्मक" बताया है। हालांकि, माफी नहीं मांगने की वजह से सभापति एम वेंकैया नायडू ने कार्रवाई को रद्द करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, निलंबित सदस्य पीछे हटने के मूड में नहीं हैं और सांसद संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उधर, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा है कि अगर विपक्षी सांसद माफी मांगते हैं तो सरकार निलंबन रद्द करने पर विचार करने के लिए तैयार है।
मानसून सत्र में सिर्फ 28 प्रतिशत हुआ था कामकाज
इससे पहले संसद के मानसून सत्र में सिर्फ 28 प्रतिशत कामकाज हुआ था। इस दौरान सदन में 28 घंटे 21 मिनट कामकाज हुआ और हंगामे के कारण 76 घंटे 26 मिनट का कामकाज बाधित हुआ था। यह 2014 में राज्यसभा के 231वें सत्र के बाद व्यवधानों और स्थगनों के चलते 4 घंटे 30 मिनट के साथ प्रतिदिन औसतन सबसे ज्यादा समय का नुकसान था। सरकार ने एक बयान में कहा था, ‘‘साल 2014 के बाद सर्वाधिक व्यवधान के बावजूद राज्यसभा में प्रतिदिन 1.1 विधेयक पारित किया गया। यह वर्ष 2014 के बाद राज्यसभा में पारित किए गए विधेयकों का दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा है।
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