सार
Supreme court news : देश में कोरोना वायरस के मामले कमजोर पड़ने लगे हैं। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने पिछले हफ्ते प्रतिबंधों में छूट दे दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी लिस्टेड मामलों की हियरिंग फिजिकली करने का फैसला लिया है। इस संबंध में सीजेआई एनवी रमना की तरफ से सोमवार को एक अधिसूचना जारी की गई है।
नई दिल्ली। कोरोना (Covid 19 Third wave) के कम होते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) फिर से फिजिकल सुनवाई (Physical Hearing) शुरू करेगी। कोर्ट अभी वर्चुअल सुनवाई कर रही है। देश में अब रोजाना आने वाले कोविड 19 के मामले घटकर 63 हजार तक पहुंच गए हैं। ऐसे में सीजेआई एनवी रमना (CJI Nv Ramana) ने यह निर्णय लिया है। उन्होंने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिसों की कमेटी से इस बारे में चर्चा की। इसमें फैसला किया गया है कि मामलों को 14 फरवरी से फिजिकली सुना जाएगा।
कोविड गाइडलाइन का करना होगा पालन
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया है कि 14 फरवरी 2022 से सभी लिस्टेड मामलों की फिजिकल हियरिंग होगी। दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली सरकार ने कोविड प्रतिबंधों में छूट दी थी। इसके बाद सीजेआई ने सभी न्यायाधीशों की समिति से इस संबंध में परामर्श लिया। इसमें तय हुआ कि 14 फरवरी से संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत फिजिकल हियरिंग की जाएगी।
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सोमवार और शुक्रवार को वर्चुअल हियरिंग
7 अक्टूबर, 2021 के SOP के अनुसार, वर्चुअल हियरिंग केवल सोमवार और शुक्रवार को होगी, जबकि बुधवार और गुरुवार को लिस्टेड केसों में वकीलों की कोर्ट रूम में उपस्थिति अनिवार्य रूप से आवश्यक होगी और केवल उसी दिन सुनवाई की जाएगी। इसके साथ ही मंगलवार को जो मामले लिस्टेड होंगे, उनकी सुनवाई भी फिजिकल मोड में होगी। हालांकि, इस मामले से जुड़े लोगों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड की भी सुविधा दी जाएगी। इसके लिए एक दिन पहले दोपहर 1 बजे तक vc.request@sci.nic.in पर आवेदन करना होगा।
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कोर्ट में इन्हें मिलेगी अनुमति
फिजिकल मोड के माध्यम से सुनवाई के लिए लिस्टेड मामले में एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) या उसके नामित बहस करने वाले वकील और प्रति पक्ष के एक कनिष्ठ वकील को कोर्ट-रूम में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। हर पक्ष की तरफ से एक पंजीकृत क्लर्क को कोर्ट रूम तक पेपर बुक/जर्नल आदि ले जाने की अनुमति दी जाएगी। 7 अक्टूबर की SOP में यह भी कहा गया है कि यदि एक फिजिकल सुनवाई वाले दिन में यदि वकीलों की संख्या क्षमता से अधिक हो सकती है तो इसके लिए टेलीकॉन्फ्रेंसिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
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