Fake Check: सोशल मीडिया पर छात्राओं को मुफ्त स्कूटी बांटने से जुड़ी एक खबर तेजी से वायरल हो रही है। पीआईबी फैक्ट चेक टीम ने इस दावे को फर्जी बताते हुए इसकी पड़ताल की है। इसमें बताया गया है कि केंद्र सरकार की ओर से ऐसी कोई स्कीम नहीं चलाई जा रही है।  

Fact Check: सोशल मीडिया पर आए दिन फर्जी खबरें और वीडियो वायरल होते हैं। ऐसा ही एक मैसेज खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि भारत सरकार 'प्रधानमंत्री मुफ्त स्कूटी योजना' के तहत छात्राओं को कॉलेज आने-जाने के लिए फ्री में स्कूटी दे रही है। PIB की फैक्ट चेक टीम ने इस दावे को फर्जी बताते हुए इसकी पोल खोल दी है। आइए जानते हैं, क्या है दावा और उसकी हकीकत?

वायरल मैसेज में क्या किया जा रहा दावा?

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस मैसेज में दावा किया जा रहा है कि पीएम फ्री स्कूटी योजना के तहत बेटियों को कॉलेज जाने के लिए मुफ्त में स्कूटी बांटी जा रही है। जबकि हकीकत में ये दावा पूरी तरह फर्जी निकला है। ऐसी कोई योजना केंद्र सरकार द्वारा नहीं चलाई जा रही है।

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वायरल पोस्ट की पड़ताल में क्या निकली सच्चाई

प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक टीम ने जब इस वायरल पोस्ट की पड़ताल की तो पता चला ये दावा पूरी तरह झूठा है। पीआईबी ने अपने ऑफिशियल X हैंडल पर फर्जी पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा- कहीं आप भी ‘प्रधानमंत्री फ्री स्कूटी योजना’ के झांसे में तो नहीं आ गए? सोशल मीडिया पर एक लेख में दावा किया जा रहा है कि सरकार ‘प्रधानमंत्री फ्री स्कूटी योजना’ के तहत छात्राओं को कॉलेज जाने के लिए मुफ्त स्कूटी दे रही है। ये दावा फर्जी है। केंद्र सरकार द्वारा ऐसी कोई 'फ्री स्कूटी योजना' नहीं चलाई जा रही है। केंद्र सरकार से जुड़ी सही और प्रामाणिक जानकारी के लिए केवल @PIBFactCheck या संबंधित मंत्रालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं।

क्यों वायरल होते हैं ऐसे फर्जी दावे?

विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया यूजर्स अक्सर बिना उनकी प्रामाणिकता की पुष्टि किए आकर्षक लगने वाली योजनाओं को बिना सोचे-समझे शेयर करते हैं। खासकर मुफ्त योजनाओं, वाहन, नकद या गैजेट देने का वादा करने वाली चीजें तेजी से पॉपुलर होती हैं और जरूरतमंद छात्रों के बीच इस तरह की चीजें और तेजी से फैलती हैं।

सरकारी स्कीम्स के बारे में सही जानकारी कैसे पाएं?

सरकारी होने का दावा करने वाली किसी भी स्कीम्स का वेरिफिकेशन ऑफिशियल स्रोतों से करें। इनमें प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की वेबसाइट, शिक्षा मंत्रालय या अन्य संबंधित विभागों के आधिकारिक सरकारी पोर्टल, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल शामिल हैं।

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