सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 12वें ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। खास बात ये है कि इस सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी हिस्सा लिया। एक महीने में यह दूसरा मौका है, जब दोनों नेता आमने सामने थे। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 12वें ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। खास बात ये है कि इस सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी हिस्सा लिया। एक महीने में यह दूसरा मौका है, जब दोनों नेता आमने सामने थे। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ब्रिक्स वैश्विक महामारी के दौरान भी अपनी गति पर काम करना जारी रखने में सक्षम रहा है।
पीएम मोदी ने इशारे इशारे में चीन पाकिस्तान पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने कहा, आतंकवाद आज विश्व के सामने सबसे बड़ी समस्या है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादियों को समर्थन और सहायता देने वाले देशों को भी दोषी ठहराया जाए और इस समस्या का संगठित तरीके से मुकाबला किया जाए।
यूएन में सुधार काफी अहम- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, भारत को लगता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार बहुत अहम है। हम इस मुद्दे पर ब्रिक्स देशों से समर्थन की उम्मीद करते हैं। कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन समकालीन वास्तविकताओं के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। डब्ल्यूटीओ, आईएमएफ, डब्ल्यूएचओ जैसे संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है।
पीएम ने कहा, कोरोना के दौरान भारतीय फार्मा उद्योग की क्षमता के कारण हम 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाइयां भेज पाए। हमारी वैक्सीन उत्पादन और डिलीवरी क्षमता भी इस तरह मानवता के हित में काम आएगी।
'दूसरे विश्व युद्ध में भारत के 25 लाख से अधिक वीर थे सक्रिय'
पीएम मोदी ने कहा, इस साल हम दूसरे विश्व युद्ध की 75वीं वर्षगांठ वीरगति पाए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं। भारत से भी 25 लाख से अधिक वीर इस युद्ध में यूरोप, अफ्रीका, और साउथ ईस्ट एशिया जैसे कई फ्रंट्स पर सक्रिय थे।
ये नेता हुए शामिल
पीएम मोदी और शी जिनपिंग के अलावा इस समिट में ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भी इस बैठक में शामिल हए ।
सीमा पर बना हुआ है गतिरोध
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में मई के महीने से ही गतिरोध बना हुआ। अब तक दोनों देशों के बीच कूटनीतिक से लेकर सैन्य स्तर तक कई दौर की बातचीत हुई है। लेकिन, सीमा पर सैन्य जमावड़ा कम नहीं हो रहा है। गलवान हिंसा के बाद दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास एक दूसरे के ऊपर न के बराबर रह गया है। ऐसे में लगातार इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि सीमा पर तनाव कम किया जाए। लेकिन, तनाव का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वायुसेना प्रमुख ने बयान देते हुए कहा कि सीमा पर युद्ध के हालात हैं और न ही शांति के। वायुसेना प्रमुख ने टू फ्रंट वॉर की स्थिति में करारा जवाब देने की बात कही है।