सार

संसद के शीतकालीन सत्र में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर युवाओं, किसानों और दलित-पिछड़ों का हक छीनने का आरोप लगाया। पीएम मोदी के जवाब का इंतज़ार।

Parliament Winter session: संविधान के 75 वर्ष पूरा होने पर लोकसभा में दो दिवसीय बहस के आखिरी दिन भी शीतकालीन सत्र में राजनैतिक गरमाहट देखने को मिली। आखिरी दिन नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर युवाओं, किसानों, दलित-पिछड़ों का हक छीनने और कुछ उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया। सदन में ए.राजा, असदुद्दीन ओवैसी और श्रीकांत शिंदे के बयानों पर भी हंगामा मचा। चर्चा के दूसरे दिन सबसे आखिर में अपना वक्तव्य देने के लिए पीएम मोदी शाम को लोकसभा पहुंचे। उनके पहुंचने पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भारत माता के जयकारे लगाए। पीएम मोदी ने कहा कि हम सबके लिए और सभी देशवासियों के लिए यह बहुत ही गौरव का पर्व है। बड़े गर्व के साथ लोकतंत्र के उत्सव को मनाने का यह अवसर है। पिछले 75 साल में भारत का नागरिक हर कसौटी पर खरा उतरा है। 

भारत का नागरिक अभिनंदन का अधिकारी

पीएम मोदी ने कहा कि भारत का नागरिक सार्वाधिक अभिनंदन का अधिकारी है। संविधान निर्माता इस बात के प्रति बहुत सजग थे। वह यह नहीं मानते थे कि भारत का जन्म 1947 में हुआ है। वह नहीं मानते थे कि भारत का लोकतंत्र 1950 में आया है। वह मानते थे कि हमारी परंपरा को। भारत का लोकतंत्र और गणतांत्रिक अतीत बहुत ही समृद्ध रहा है। तभी तो भारत आज मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है।

पीएम मोदी ने कहा कि पुरुषोत्तम दास टंडन, राधाकृष्णन और बाबा साहेब अंबेडकर के वक्तव्यों का उल्लेख करते हुए संविधान की प्रासंगिकता के बारे में बताया। उन्होंने महिलाओं के भी संविधान सभा में मौजूदगी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि संविधान सभा की शामिल सभी बहनें अलग-अलग बैकग्राउंड की लेकिन संविधान निर्माण में जो सुझाव दिए उसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। दुनिया के तमाम देश महिलाओं को अधिकार देने में दशकों लगाया लेकिन हमने पहले दिन से ही महिलाओं को वोट का अधिकार दिया। उन्होंने कहा कि जब जी20 समिट हुई तो उसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, विश्व के सामने वीमेन लेड डेवलपमेंट को आधार बनाया। अब वीमेन डेवलपमेंट से आगे जाते हुए वीमेन लेड डेवलपमेंट का विचार दिया। हम सभी सांसदों ने मिलकर इसी लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू करके महिला शक्ति को भारतीय लोकतंत्र में सहभागी बनाया। हम देख रहे हैं कि आज हर बड़ी योजना के केंद्र में महिला शक्ति है।

एकता ही भारत का आधार

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा देश बहुत तेजी से विकास कर रहा है। हमारा देश विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूती से कदम रख रहा है। इतना ही नहीं 140 करोड़ भारतीयों का संकल्प है कि जब हम आजादी का शताब्दी वर्ष मनाएंगे तो विकसित भारत बनाएंगे। हमारा संविधान भारत की एकता का आधार है।

गुलामी की मानसिकता वाले विविधता को तोड़ रहे

पीएम मोदी ने कहा कि भारत विविधता में विश्वास करता है लेकिन गुलामी की मानसिकता में पले बढ़े लोगों ने इस पर प्रहार किया। विविधता को सेलिब्रेट करने के बजाय उसे तार तार किया। भारत की विशेषता विविधता में एकता है, लेकिन गुलामी की मानसिकता में पलेबढ़े लोगों ने, जिनके लिए 1947 में हिंदुस्तान पैदा हुआ, वे विविधता में विरोधाभास ढूंढते रहे। विविधता हमारा अमूल्य खजाना है। उसमें ये लोग ऐसे बीज ढूंढते रहे, जिससे देश की एकता को नुकसान पहुंचे।

वन नेशन वन टैक्स, वन नेशन वन कार्ड हमने किया लागू

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में जीएसटी को लेकर चर्चा चली। इकनॉमिक यूनिटी के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण थी। वो भी हमने किया। वन नेशन वन टैक्स लागू किया। राशन कार्ड गरीब के लिए मूल्यवान दस्तावेज रहा है। गरीब एक राज्य से दूसरे राज्य जाता था तो उसे कुछ भी नहीं मिलता था। एकता को मजबूत करने के लिए हमने वन नेशन-वन राशन कार्ड की बात को पूरा किया। गरीब-सामान्य नागरिक को मुफ्त में इलाज मिले तो गरीबी से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है। जहां काम करता है वहां मिल जाता है, लेकिन बाहर गया तो सुविधा नहीं मिलती। वन नेशन- वन हेल्थ कार्ड को सोचा और आयुष्मान कार्ड लाए।

दुनिया में बिजली गुल होने पर बदनामी होती थी

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जानते हैं कि देश के एक हिस्से में बिजली थी पर सप्लाई नहीं हो रही थी। पिछली सरकारों में विश्व के अंदर अंधेरे के कारण हेडलाइन में बदनामी होती थी। वन नेशन-वन ग्रिड को हमने पूरा किया। हमारे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी भेदभाव की बू आती रही। हमने एकता को ध्यान में रखते हुए हमने नॉर्थ ईस्ट, या जम्मू-कश्मीर, इन्फ्रास्ट्रक्चर को सामर्थ्य देने का काम किया। उन्होंने कहा कि युग बदल चुका है और हम नहीं चाहते हैं कि डिजिटल क्षेत्र में हमारी स्थिति खराब हो। भारत के डिजिटल इंडिया की सक्सेस स्टोरी है कि हमने टेक्नोलॉजी को डेमोक्रेटाइज करने का काम किया। ऑप्टिकल फाइबर गांव तक ले गए। मातृ भाषा की अहमियत पहचानी है। हमने न्यू एजुकेशन पॉलिसी में इसे बहुत बल दिया है। गरीब का बच्चा भी अपनी भाषा में डॉक्टर इंजीनियर बन सकता है। हमने क्लासिकल लैंग्वेज की दिशा में भी लोगों का सम्मान किया। एक भारत-श्रेष्ठ भारत का अभियान शुरू किया। नई पीढ़ी को संस्कारित करने का काम चल रहा है।

मैं मुख्यमंत्री बना तो संविधान की 60वीं वर्षगांठ मना इतिहास बनाया

पीएम मोदी ने कहा कि हमारा देश जब संविधान का 25वां वर्षगांठ मना रहा था तो उसे नोच लिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर ताले लगा दिए गए, नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए। कांग्रेस के माथे का यह पाप कभी धुलने वाला नहीं है। भारत के संविधान निर्माताओं की तपस्या को मिट्टी में मिलाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री बना तो संविधान की 60वीं वर्षगांठ भव्यता से मनाया। संविधान की किताब को एक हाथी पर रखकर भव्य यात्रा निकाली और मुख्यमंत्री के रूप में मैं नीचे पैदल चल रहा था।

पीएम मोदी ने गांधी परिवार पर बोला हमला

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक परिवार का उल्लेख इसलिए करता हूं कि 75 साल में से 55 साल एक ही परिवार ने राज किया है। देश को क्या-क्या हुआ है, ये जानने का अधिकार है। इस परिवार के कुविचार, कुरीति, कुनीति की परंपरा निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है। 1947 से 1952 इस देश में इलेक्टेड गवर्नमेंट नहीं थी। अस्थाई व्यवस्था थी, चुनाव नहीं हुए थे और जब तक चुनाव ना हो तब तक एक खाका खड़ा किया गया था। 1952 से पहले राज्य सभा भी नहीं थी। राज्यों में भी चुनाव नहीं थे। कोई जनादेश नहीं था। अभी-अभी तो संविधान निर्माताओं ने इतना मंथन किया था। 1951 इन्होंने ऑर्डिनेंस लाकर संविधान को बदला। अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया। संविधान निर्माताओं की नहीं चलने दी।

जो संविधान सभा से नहीं करवा पाए उसे पिछले दरवाजे से कराया

पीएम मोदी ने कहा कि अपने मन की चीजें, जो संविधान सभा के भीतर नहीं करवा पाए, पिछले दरवाजे से किया, चुनी हुई सरकार के प्रधानमंत्री नहीं थे। उन्होंने पाप किया। उसी दौरान प्रधानमंत्री नेहरूजी ने मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी- अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए। 1951 में ये पाप किया गया। राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि गलत हो रहा है। स्पीकर ने भी कहा, आचार्य कृपलानी, जेपी जैसे महान लोगों ने भी रोकने को कहा। पंडितजी का अपना संविधान चलता था। उन्होंने सलाह नहीं मानी।

नेहरू के बाद इंदिरा गांधी ने संविधान बदलने का पाप किया

पीएम मोदी ने कहा कि संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि वे समय-समय पर संविधान का शिकार करती रही। संविधान की आत्मा को लहुलुहान करती रही। करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया। जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने बोया था, उसे खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया। 1971 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। उस फैसले को संविधान बदलकर पलटा गया। उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे। कहा था कि संसद संविधान के किसी भी आर्टिकल में जो मन आए कर सकती है और अदालत उसकी तरफ नहीं देख सकती है। ये पाप 1971 में इंदिरा गांधी ने किया था।

उन्होंने 1975 में 39 बार संशोधन किया। उसमें राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अध्यक्ष इनके चुनाव के खिलाफ कोई कोर्ट में जा ही नहीं सकता, ऐसा काम किया। पीछे का भी बदलाव कर दिया। इमरजेंसी में लोगों के अधिकार छीने गए, हजारों लोगों को जेलों में डाल दिया गया। न्यायपालिका का गला घोंटा गया। जस्टिस एचआर खन्ना ने उनके चुनाव में खिलाफ जजमेंट दिया, इतना गुस्सा भरा था कि जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने थे, उन्हें चीफ जस्टिस नहीं बनने दिया।

इमरजेंसी को याद दिलाते हुए राजीव गांधी तक पर बोला हमला

प्रधानमंत्री ने सदन में बैठे नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि यहां भी ऐसे कई दल हैं जिनके मुखिया जेल में थे। मजबूरी है कि आज ये वहां बैठे हैं। देश पर जुल्म-तांडव चल रहा था। कई लोग जेलों में मृत समान हो गए थे, निर्दयी सरकार संविधान को चूर-चूर करती रही। ये परंपरा यहां नहीं रुकी। नेहरूजी ने शुरू किया, इंदिराजी ने आगे बढ़ाया, राजीवजी ने खाद-पानी दी। उनके मुंह लहू लग गया था। अगली पीढ़ी भी इसी खिलवाड़ में जुटी है। सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानों का जजमेंट दिया था। राजीव गांधी ने शाहबानो की उस भावना को सुप्रीम कोर्ट की भावना को नकार दिया। वोट बैंक की भावना के आगे संविधान की भावना को नकार दिया। वृद्ध महिला का साथ देने की बजाय कट्टरपंथियों का साथ दिया। संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलट दिया गया। पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि एक और पीढ़ी आगे चले, उसने क्या किया। भारत के संविधान के तहत देश की जनता सरकार चुनती है। सरकार का मुखिया कैबिनेट बनाता है। इस कैबिनेट जो फैसला लिया, संविधान का अपमान करने वाले अहंकार से भरे लोगों ने पत्रकारों के सामने कैबिनेट के निर्णय को फाड़ दिया। संविधान को हर मौके पर खिलवाड़ करना, उसे न मानना, ये जिनकी आदत हो गई थी। दुर्भाग्य देखिए एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट का फैसला फाड़ दे और कैबिनेट अपना फैसला बदल दे। ये कौन सी व्यवस्था है।

कांग्रेस के रगों में सत्ता और परिवारवाद

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के रगों में सत्ता और परिवारवाद घुसा है। 12 प्रदेश कांग्रेस कमेटियों ने सरदार पटेल के नाम पर सहमति दी थी। नेहरूजी के साथ एक भी कमेटी नहीं थी। सरदार साहब ही प्रधानमंत्री बनते लेकिन लोकतंत्र में श्रद्धा नहीं, संविधान में आस्था नहीं, ये बैठ गए। जो अपनी पार्टी के संविधान को नहीं मानते, वो कैसे देश के संविधान को मान सकते हैं। जो लोग संविधान में लोगों के नाम ढूंढते हैं, कांग्रेस के एक अध्यक्ष हुआ करते थे अति पिछड़े समाज के थे। उनके अध्यक्ष सीताराम केसरी का कैसा अपमान किया था। कैसे बाथरूम में बंद कर दिया था। उठाकर फुटपाथ पर फेंक दिया। अपनी पार्टी के संविधान को ना मानना, लोकतंत्र को ना मानना, पूरी कांग्रेस पार्टी पर एक परिवार ने कब्जा कर लिया है। लोकतंत्र को नकार दिया।

लोक कल्याण के लिए हमने संविधान संशोधन किया

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने भी संविधान संशोधन किए हैं। देश की एकता के लिए, अखंडता के लिए, उज्ज्वल भविष्य के लिए, संविधान की भावना के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ किए। देश का ओबीसी समाज तीन-तीन दशक से ओबीसी कमीशन के संवैधानिक दर्जे की मांग कर रहा था। उसे दर्जा देने के लिए हमने संविधान संशोधन किया है। देश में एक बहुत बड़ा वर्ग था, वो किसी भी जाति में क्यों ना जन्मा हो लेकिन गरीबी के कारण अवसर नहीं पा सकता था। उसमें असंतोष की ज्वाला थी, कोई निर्णय नहीं कर रहा था। हमने सामान्य जन के गरीब परिवार के 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए संशोधन किया। देश में किसी ने विरोध नहीं किया। सबने सहयोग किया था, तब यह हुआ।

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