सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में 'संकल्प सप्ताह' का शुभारंभ किया। पीएम ने ब्लॉक कर्मियों और जनप्रतिनिधियों को मेहनत करने का मंत्र दिया।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को आकांक्षी ब्लॉकों के लिए सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम 'संकल्प सप्ताह' (Sankalp Saptaah) का शुभारंभ किया। संकल्प सप्ताह का लक्ष्य नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए ब्लॉक स्तर पर शासन में सुधार करना है। इसके लिए पूरे देश से ब्लॉकों का चुनाव किया गया है। इन्हें आकांक्षी ब्लॉक कहा गया है।

भारत मंडपम में 'संकल्प सप्ताह' के शुभारंभ के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें देश भर से लगभग तीन हजार पंचायत और ब्लॉक-स्तरीय जन प्रतिनिधि और पदाधिकारियों ने भाग लिया। इसके अलावा, प्रखंड और पंचायत स्तर के पदाधिकारी और किसान समेत करीब दो लाख लोग कार्यक्रम से वर्चुअल तौर पर जुड़े।

पीएम ने दिया मेहनत का मंत्र

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने ब्लॉक स्तर पर काम करने वाले जन प्रतिनिधि और पदाधिकारियों को मेहनत का मंत्र दिया। पीएम ने कहा कि आपकी मेहनत से मुझे ऊर्जा मिलती है। अगर आप 12 घंटे काम करते हैं तो मुझे 13 घंटे काम करने की ऊर्जा मिलती है। मैं आपकी रिपोर्ट पर लगातार नजर रखता हूं ताकि ऊर्जा मिले।

नरेंद्र मोदी ने कहा, "आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने देश के 112 जिलों में 25 करोड़ से अधिक लोगों के जीवन को बदल दिया है। उनके जीवन की गुणवत्ता में बदलाव आया है। भारत मंडपम, जहां विश्व नेता वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए थे, अब उन लोगों की मेजबानी कर रहा है जो जमीनी स्तर पर बदलाव लाते हैं। मेरे लिए, यह शिखर सम्मेलन जी20 शिखर सम्मेलन जितना ही महत्वपूर्ण है।"

उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि जिस तरह एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम को सफलता मिली है, उसी तरह एस्पिरेशनल ब्लॉक प्रोग्राम भी 100 फीसदी सफल होगा। यह कार्यक्रम (संकल्प सप्ताह) टीम इंडिया की सफलता का प्रतीक है। यह सभी के प्रयास की भावना का प्रतीक है। यह कार्यक्रम भारत के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसमें संकल्प के माध्यम से सिद्धि का प्रतिबिंब है।"

पीएम मोदी ने कहा, “हमने आकांक्षी जिला कार्यक्रम में बहुत सरल रणनीति के साथ काम किया। अगर हम सभी का विकास नहीं करेंगे तो आंकड़े संतुष्टि तो दे सकते हैं, लेकिन मूलभूत परिवर्तन संभव नहीं है। यह आवश्यक है कि जमीनी स्तर पर बदलाव के लिए काम किया जाए।”