सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 3 अक्टूबर को रोहतांग अटल टनल का उद्घाटन किया। यह मनाली को लेह से जोड़ने वाली पहली दुनिया की सबसे बड़ी टनल है। इस टनल की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी कम हो गई है। इसे बनाने में 10 साल का वक्त लगा है।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 3 अक्टूबर को रोहतांग अटल टनल का उद्घाटन किया। यह मनाली को लेह से जोड़ने वाली पहली दुनिया की सबसे बड़ी टनल है। इस टनल की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी कम हो गई है। इसे बनाने में 10 साल का वक्त लगा है। टनल को पहले 2015 में बनकर तैयार हो जाना चाहिए था, लेकिन ये 2019 में बनकर तैयार हुई। ऐसे में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस सरकार पर बिना नाम लिए निशाना साधा और कहा कि 'जिस स्पीड से काम हो रहा था वैसे होता तो 2040 तक टनल बन पाती।'
संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि 'अटल जी के जाने के बाद इस काम को भुला दिया गया। साल 2013 में सिर्फ डेढ़ किलोमीटर का काम ही हो सका। एक्सपर्ट ने बताया, जिस रफ्तार से काम हो रहा था उस रफ्तार से होता तो साल 2040 में टनल पूरी हो पाती। साल 2014 के बाद इसे बनाने में तेजी लाई गई। बीआरओ के सामने आने वाली दिक्कत को हल किया गया। हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, बाद में उसकी गति बढ़ाकर 1400 मीटर प्रति वर्ष कर दिया गया। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर दिया।'
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देरी के कारण तीन गुना ज्यादा पैसा खर्च हुआ: मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि 'साल 2005 में आकलन किया गया था कि यह टनल साढ़े नौ सौ करोड़ रुपए में तैयार हो जाएगी। लेकिन, लगातार होती देरी के कारण तीन गुना से भी ज्यादा यानी 32 सौ करोड़ रुपए खर्च करने के बाद तैयार हो पाई। कल्पना कीजिए की 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती?'
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'गंभीरता से नहीं लिया गया प्रोजेक्ट'
पीएम मोदी कहते हैं कि 'कनेक्टिविटी का देश के विकास से सीधा संबंध होता है। ज्यादा से ज्यादा कनेक्टिविटी यानी उतना ही तेज विकास। खासकर बॉर्डर एरिया में तो कनेक्टिविटी सीधे-सीधे देश की रक्षा जरूरतों से जुड़ी होती है, लेकिन इसे लेकर जिस तरह की गंभीरता थी, आज उसकी आवश्यता है। जिस तरह की राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत थी दुर्भाग्य से वह नहीं दिखाई दी। अटल टनल की तरह ही अनेक प्रोजेक्ट के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया।
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दर्जनों प्रोजेक्ट्स को नजरअंदाज किए गए: PM
पीएम ने आगे कहा कि 'मैं ऐसे दर्जनों प्रोजेक्ट गिना सकता हूं, जो सामरिक और सुविधा की दृष्टि से भले ही कितने महत्वपूर्ण रहे हों, लेकिन बरसों तक नजरअंदाज किए गए हैं। मुझे याद है कि करीब 2 साल पहले अटल जी के जन्मदिन के मौके पर असम में था। वहां पर भारत के सबसे लंबे रेल रोड ब्रिज को देश को समर्पित करने का अवसर मिला था। यह पुल आज नॉर्थ ईस्ट और अरुणांचल प्रदेश से कनेक्टिविटी का बहुत बड़ा माध्यम है।' मोदी ने कहा कि 'अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया। लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही। क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता।'
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पूरा हुआ अटलजी का सपना
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 1983 में इंदिरा गांधी की सरकार ने मनाली और लेह के बीच सड़क बनाने की कल्पना की थी। लेकिन, 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस टनल को बनाने की घोषणा कर दी थी और इस टनल के लिए इसकी नींव रख दी गई थी। इसके बाद इसे बनाने की प्रक्रिया सितंबर 2009 में शुरू हुई, जिसके 10 साल बाद ये अब बनकर तैयार हो चुकी है और इसका उद्घाटन पीएम मोदी ने किया। इस तरह से अटल जी के द्वारा देखे सपने को पीएम मोदी ने पूरा किया।
यह सुरंग को सामरिक तौर पर भी काफी अहम माना जा रहा है। इसे 2015 तक बनाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यह इतना आसान नहीं था। टनल को बनाने के लिए देश के इंजीनियरों और मजदूरों को 10 साल की कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
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सुरंग उद्घाटन के बाद सुनें पीएम मोदी ने क्या कहा
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