सार
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो प्रोग्राम मन की बात (Mann ki Baat) में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) के नाम पर हो रही धोखेबाजी पर बात की। उन्होंने लोगों को 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए धोखा देने वाले साइबर अपराधियों के बारे में चेतावनी दी। कहा कि इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए कई एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं।
मन की बात कार्यक्रम के दौरान नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो प्ले किया। इसमें वीडियो कॉल पर दो लोगों की बातचीत दिखाई गई थी। पुलिस अधिकारी की वर्दी पहने व्यक्ति द्वारा एक आदमी से पूछताछ की जा रही थी। उसे डराया-धमकाया जा रहा था।
बनावटी अधिकारी बनकर बात करते हैं धोखेबाज
वीडियो खत्म होने के बाद पीएम ने कहा, "ये ऑडियो सिर्फ जानकारी के लिए नहीं है। ये कोई मनोरंजन वाला नहीं है। एक गहरी चिंता को लेकर ऑडियो आया है। आपने अभी जो बातचीत सुनी वो डिजिटल अरेस्ट फरेब की है। ये बातचीत एक पीड़ित और फ्रॉड करने वाले के बीच हुई है।"
उन्होंने कहा, "डिजिटल अरेस्ट के फ्रॉड में फोन करने वाले कभी पुलिस, कभी सीबीआई, कभी नार्कोटिक्स, कभी आरबीआई, ऐसे भांति भांति के लेबल लगाकर बनावटी अधिकारी बनकर बात करते हैं।"
डिजिटल अरेस्ट के फ्रॉड को समझना है जरूरी
प्रधानमंत्री ने कहा, "इस फ्रॉड को समझना बहुत जरूरी है। पहला दांव आपकी व्यक्तिगत जानकारी। वो सब जुटाकर रखते हैं। आप पिछले महीने गोवा गए थे। बेटी दिल्ली में पढ़ती है। वे आपके बारे में इतनी जानकारी जुटाकर रखते हैं कि आप दंग रह जाएंगे। दूसरा दाव भय का माहौल पैदा करो। वर्दी, सरकारी दफ्तर का सेटअप, कानूनी धाराएं, वो आपको इतना डरा देंगे, फोन पर बातों-बातों में, आप सोच भी नहीं पाएंगे। इसके बाद उनका तीसरा दांव शुरू होता है। समय का दबाव। अभी फैसला करना होगा वरना आपको गिरफ्तार करना पड़ेगा। ये लोग पीड़ित पर इतना मनोवैज्ञानिक दबाव बना देते हैं कि वो सहम जाता है।"
कभी फ्रॉड वाली ऐसी कॉल आए तो डरें नहीं
नरेंद्र मोदी ने कहा, "कभी भी आपको इस तरह का कॉल आए तो डरना नहीं है। आपको पता होना चाहिए कि कोई भी जांच एजेंसी, फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह पूछताछ कभी भी नहीं करती। मैं आपको डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण बताता हूं। ये तीन चरण हैं रुको-सोचो-एक्शन लो। कॉल आते ही रुकें, घबराएं नहीं, जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं। किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी नहीं दें। संभव हो तो स्क्रीन शॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें। इसके बाद आता है। दूसरा चरण सोचो। कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसे धमकी नहीं देती। न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है। न ही ऐसे पैसे की मांग करती है। अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है। तीसरे चरण में एक्शन लीजिए। राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 डायल करें। Cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें। परिवार और पुलिस को सूचित करें। सबूत सुरक्षित रखें।"
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