सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित किया। यह मंच भारतीय कानूनी तंत्र से संबंधित विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श का गवाह बनेगा। मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये इससे जुड़े।
नई दिल्ली.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने 15 अक्टूबर को विधि मंत्रियों और विधि सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन(All India Conference of Law Ministers and Law Secretaries) के उद्घाटन सत्र को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया। इस दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी एकता नगर, गुजरात में विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा की जा रही है। इस सम्मेलन का उद्देश्य नीति निर्माताओं को भारतीय कानूनी और न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है। इस सम्मेलन के माध्यम से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, नए विचारों का आदान-प्रदान करने और अपने आपसी सहयोग में सुधार करने में सक्षम होंगे।
तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है
मोदी ने कहा-आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल की प्रेरणा, हमें सही दिशा में भी ले जाएगी, और हमें लक्ष्य तक पहुंचाएगी भी। भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है। हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए, खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है।
गलत रिवाजों को हटाना
मोदी ने कहा-हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, कुरीतियों को, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है। लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों केसों को सुलझाया गया है। इनसे अदालतों का बोझ भी कम हुआ है और खासतौर पर, गांव में रहने वाले लोगों को, गरीबों को न्याय मिलना भी बहुत आसान हुआ है। देश के लोगों को सरकार का भाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए। देश ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है। इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे हैं। देश में त्वरित न्याय का एक और माध्यम लोक अदालतें भी बनी हैं। कई राज्यों में इसे लेकर बहुत अच्छा काम भी हुआ है।
गरीब भी नए कानून समझ पाएं
मोदी ने जोर दिया-कानून बनाते हुए हमारा फोकस होना चाहिए कि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं। किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे, इसके लिए हमें लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट भी चाहिए होगा। युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा, लॉ से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हो, हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो, इसके लिए हमें काम करना होगा।
ये हैं सम्मेलन के विषय
इस सम्मेलन में जिन विषयों पर चर्चा होगी, उनमें त्वरित और किफायती न्याय के लिए मध्यस्थता सरीखे वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र; समग्र कानूनी बुनियादी ढांचे का उन्नयन; अप्रचलित हो चुके कानूनों को हटाना; न्याय तक पहुंच में सुधार करना; लंबित मामलों को कम करना और त्वरित निपटान सुनिश्चित करना; बेहतर केंद्र-राज्य समन्वय के लिए राज्य के विधेयकों से संबंधित प्रस्तावों में एकरूपता लाना; राज्य कानूनी प्रणालियों को मजबूत करना आदि शामिल हैं। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय 14 से 17 अक्टूबर तक राज्य के कानून मंत्रियों और विधि सचिवों का यह अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है।
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