सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21-24 जून तक अमेरिका की यात्रा (Narendra Modi US visits) करने वाले हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच लड़ाकू विमान के इंजन मिलकर बनाने के लिए समझौता हो सकता है।
नई दिल्ली। भारत अपना स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस बना रहा है, लेकिन लड़ाकू विमान के इंजन विकसित करने में अभी पूरी तरह कामयाबी नहीं मिली है। कावेरी इंजन पर काम चल रहा है, लेकिन इसके विमानों में लगाए जाने में देर है। इस बीच तेजस के मार्क टू वैरिएंट पर भी काम चल रहा है। इस वैरिएंट के लिए नए और ताकतवर इंजन की तलाश है।
स्वदेशी लड़ाकू विमानों के लिए ताकतवर इंजन की तलाश वायुसेना के लिए बड़ी परेशानी रही है। इस बीच ऐसी खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा (Narendra Modi US visits) के दौरान इसका हल मिल सकता है। भारत और अमेरिका मिलकर लड़ाकू विमान के लिए इंजन बनाने पर सहमत हो गए हैं। पीएम की अमेरिका यात्रा के दौरान इसपर समझौता हो सकता है।
फिनिश लाइन पर है जेट इंजन की डील
डील को करीब से देख रहे सूत्रों के अनुसार सौदा फिनिश लाइन पर है। विमान बनाने वाली दिग्गज कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के साथ इस पर बात हुई है। उम्मीद है कि व्हाइट हाउस से डील को मंजूरी मिल जाएगी। डील होने पर भारत सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और जनरल इलेक्ट्रिक मिलकर तेजस लाइट-कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए इंजन बनाएंगे। वर्तमान में तेजस विमान में जनरल इलेक्ट्रिक का F404-GE-IN20 टर्बोफैन इंजन लगता है। यह इंजन 85 किलो न्यूटन का थ्रस्ट जेनरेट करता है। तेजस के अगले वर्जन के लिए और अधिक ताकतवर इंजन की जरूरत है।
टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर की होगी जरूरत
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा 21 जून से शुरू होगी। जेट इंजन मिलकर बनाने के लिए अमेरिका से टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर किए जाने की जरूरत होगी। इसके लिए अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी भी लेनी होगी। अगर समझौता होता है तो भारत में लड़ाकू विमान बनाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही भारत तेजी से अपनी वायुसेना को नए और अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों से लैस कर पाएगा। वर्तमान में वायुसेना लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है। मिग 21 और मिग 29 जैसे रूस से खरीदे गए लड़ाकू विमान पुराने पड़ गए हैं। इन्हें रिप्लेस करने की जरूरत है।