सार
LEDs फॉर ऑल यानी (उजाला-उन्नत ज्योति सस्ती LEDs द्वारा) स्कीम को 7 साल पूरे हो गए हैं। इस स्कीम ने लोगों के बिजली के बिल घटा दिए हैं। बिजली की बेवजह की खपत में कमी आई है। इसकी केस स्टडी को हार्वर्ड बिजनेस स्कूल(Harvard Business School) के सिलेबस में शामिल करने पर विचार हो रहा है। पढ़िए एक दिलचस्प कहानी...
नई दिल्ली. आज से 7 साल पहले घरों में पीले लट्टू या बल्ब लटकते रहते थे। इनसे रोशनी तो कम आती थी, लेकिन बिजली खूब जलती थी। वहीं, खराब भी जल्द हो जाते थे। फिर प्रधानमंत्री ने 5 जनवरी, 2015 को उन्नत ज्योति बाय एफर्डेबल लेड्स फॉर ऑल (उजाला – सबके लिए सस्ते एलईडी द्वारा उन्नत ज्योति) स्कीम लॉन्च की। यह स्कीम बिजली के मामले में एक क्रांति साबित हुई। इसने न सिर्फ बिजली के बिल घटाए, बल्कि रोशनी भी भरपूर दे रही है और LEDs चलते भी खूब हैं।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के सिलेबस में हो सकती है केस स्टडी शामिल
इस स्कीम ने देश के टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स का ध्यान भी आकर्षित किया है। यह अब अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में लीडरशिप केस स्टडी का हिस्सा बन चुकी है। इसके अलावा हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पाठ्यक्रम में भी इसे शामिल
करने पर विचार हो रहा है।
जैसे घरों को रोशन ही कर दिया
अब तक देशभर में 36.78 से अधिक एलईडी लाइटों का वितरण किया गया है। कार्यक्रम ने लोगों के जीवन को बदल डाला है। वर्ष 2014 में उजाला योजना एलईडी बल्बों की खुदरा कीमत को नीचे लाने में सफल हुई थी। एलईडी बल्बों की कीमत 300-350 रुपये प्रति बल्ब से कम होकर 70-80 रुपये प्रति बल्ब पहुंच गई थी। सबके लिये सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के अलावा, कार्यक्रम की बदौलत ऊर्जा में भारी बचत भी हुई।
बिजली की खपत हुई कम
वर्तमान समय तक, 47,778 मिलियन किलोवॉट प्रति घंटा की वार्षिक ऊर्जा की बचत हुई है। इसके अलावा 9,565 मेगावॉट की अधिकतम मांग से मुक्ति मिली तथा 3,86 करोड़ टन सीओ2 (कार्बन डाई-ऑक्साइड) की कटौती हुई। उजाला को सभी राज्यों ने सहर्ष अपनाया है। इसकी मदद से घरों के वार्षिक बिजली बिलों में कमी आई है। उपभोक्ता पैसा बचाने, अपने जीवन स्तर में सुधार लाने तथा भारत की आर्थिक प्रगति और समृद्धि में योगदान करने में सक्षम हुए हैं।
उजाला योजना की बदौलत एलईडी बल्बों की कीमत में 85 प्रतिशत तक की कमी आई है। इसके कारण बोली-कर्ताओं की तादाद बढ़ी है, उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर हुई है और उपभोक्ताओं के लिए बेहतर विकल्प उपलब्ध हुए हैं। औद्योगिक प्रतिस्पर्धा और थोक खरीद के बढ़ने से ईईएसएल (एनर्जी एफीशियंसी सर्विसेज लिमिटेड) ने अनोखी खरीद रणनीति अपनाई है, जिसके परिणामस्वरूप चिर-परिचित लाभ प्राप्त हुए हैं। यही अब उजाला कार्यक्रम की यूएसपी बन गई है।
मेक इन इंडिया का जबर्दस्त उदाहरण
इससे स्वदेशी प्रकाश उद्योग को गति मिलती है। इससे ‘मेक इन इंडिया’को प्रोत्साहन मिलता है, क्योंकि एलईडी का स्वदेशी निर्माण एक लाख प्रति माह से बढ़कर 40 मिलियन प्रति माह पहुंच गया है। उजाला की बदौलत नियमित थोक खरीद के जरिये निर्माताओं को लागत-लाभ प्राप्त होता है। इससे निर्माताओं को खुदरा क्षेत्र में भी एलईडी की कीमतों में कमी करने का मौका मिलता है। वर्ष 2014 और 2017 के बीच इसका खरीद मूल्य 310 रुपये से घटकर 38 रुपये हो गया है। इस तरह लगभग 90 प्रतिशत की कमी आई है।
यह भी पढ़ें
खतरनाक जोजिला दर्रे पर खराब मौसम में भी BRO ने भारत के ड्रीम प्रोजेक्ट पर 24 घंटे काम करके तोड़ा रिकॉर्ड
Weather Report: पहाड़ों पर लगातार बर्फबारी से ठिठुरा उत्तर भारत, अगले 2-3 दिनों में बारिश के भी आसार