वीर सावरकर (Veer Savarkar) को लेकर राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान पर भाजपा नेता राज्यवर्धन राठौर ने पलटवार किया है। उन्होंने एक पत्र शेयर करते हुए कहा है कि जवाहरलाल नेहरू आजाद भारत में सिर झुका-झुका कर अंग्रेजों को सलाम करते थे।  

नई दिल्ली। भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे राहुल गांधी इन दिनों वीर सावरकर (Veer Savarkar) को लेकर दिए गए बयान के चलते विवादों में हैं। महाराष्ट्र में एक रैली के दौरान राहुल ने कहा था कि वीर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी। वीर सावरकर को लेकर दिए गए बयान के चलते भाजपा नेता राहुल गांधी पर हमलावर हैं। 

भाजपा नेता राज्यवर्धन राठौर ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का एक पत्र ट्विटर पर शेयर किया है। इसके साथ ही उन्होंने ट्वीट किया है कि नेहरू आजाद भारत में सिर झुका-झुका कर अंग्रेजों को सलाम करते थे। अब यह तय किया जाना चाहिए कि अंग्रेजों के प्रति सावरकर की निष्ठा थी या नेहरू की।

Scroll to load tweet…

राज्यवर्धन राठौर ने चार ट्वीट कर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया, "नेहरू 1923 में अंग्रेजों से माफी मांगकर 2 साल की सजा से बच निकले, हफ्ते भर में छूट गए, बेटे को छुड़ाने मोती लाल भी Viceroy से सिफारिश लगाने गए। लेकिन राहुल को वो वीर सावरकर बुरे लगते हैं, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए कालापानी की सजा भुगतते हुए काल-कोठरी में वर्षों यातनाएं सहीं।"

राज्यवर्धन ने लिखा, "कांग्रेस को सावरकर जी देशभक्त नहीं लगते, जबकि इंग्लैड में बैरिस्टर परीक्षा पास करने के बाद भी उन्हें डिग्री नहीं मिली, क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश क्राउन के प्रति निष्ठा की शपथ लेने से इंकार कर दिया था। नेहरू आजादी के बाद भी ब्रिटिश सत्ता के आगे नतमस्तक रहे, फिर भी उन पर सवाल नहीं?"

अपने चौथे ट्वीट में राज्यवर्धन ने लिखा, "नेहरू ने माउंटबेटन को पहला गवर्नर जनरल स्वीकार किया, ब्रिटेन की रानी को रिपब्लिक डे पर परेड की सलामी दिलाने की तैयारी कर ली, फिर भी देशभक्त का तमगा लिए घूमते रहे। वीर सावरकर ने देश के लिए पूरा जीवन समर्पित किया तब भी उन्हें अपशब्द! जनता जानती है अंग्रेजों का पिट्ठू कौन था।"

वीर सावरकर को लेकर क्या बोले राहुल गांधी?
17 नवंबर 2022 को बिरसा मुंडा जयंती के मौके पर राहुल गांधी ने आदिवासी समुदाय को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि एक तरफ बिरसा मुंडा जैसी महान शख्सियत हैं जो अंग्रेजों के सामने कभी नहीं झुके तो दूसरी तरफ सावरकर हैं, जिन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी। अंग्रेजों ने उन्हें दो-तीन साल अंडमान की जेल में बंद कर दिया तो उन्होंने चिट्ठी लिखकर अंग्रेजों से कहा कि हमें माफ कर दो। इतना ही नहीं, वे अंग्रेजों से पेंशन भी लेते थे। राहुल गांधी ने एक पत्र दिखाते हुए कहा था, "इस पत्र में सावरकर जी ने लिखा था कि मैं आपके सबसे आज्ञाकारी सेवक बने रहने के लिए विनती करता हूं। उन्होंने इस पत्र पर किस कारण साइन किया था? वह अंग्रेजों से डरते थे।"

यह भी पढ़ें- वीर सावरकर को लेकर आखिर क्या बोल गए राहुल गांधी जिससे मचा बवाल, जानें क्या है पूरा घटनाक्रम

कौन थे वीर सावरकर?
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपने विचारों और देशभक्ति से स्वतंत्रता की एक नई अलख लगाने वाले क्रांतिकारी और हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र में नासिक जिले के भागपुर में हुआ था। सावरकर के क्रांतिकारी विचारों से डर कर अंग्रेजों ने उन पर बेहद जुल्म किए। यहां तक कि नासिक के कलेक्टर की हत्या के आरोप में अंग्रेजों ने 1911 में सावरकर को काला पानी की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्हें अंडमान की सेलुलर जेल में कैद कर दिया गया। सावरकर को उनकी किताब 'हिंदुत्व: हिंदू कौन है' के लिए भी जाना जाता है। इसमें उन्होंने अखंड भारत को एक सूत्र में पिरोने की बात कही है। 

यह भी पढ़ें- भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे राहुल गांधी को मिली जान से मारने की धमकी, लिखा- इंदौर आते ही होगा बम धमाका