दक्षिणी रेलवे (Southern Railway) नकली AC टिकट के दावे फैलाने वाले व्लॉगर्स के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करता है। क्या वायरल वीडियो यात्रियों को गुमराह कर रहे हैं? गलत जानकारी रोकने और रेलवे सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फ़ैक्ट-चेक हैंडल लॉन्च किया गया।

नई दिल्ली। दक्षिणी रेलवे इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे फर्जी वीडियो और रील्स से परेशान है। ऐसे व्लॉगर्स जो खुद को ऑफिशियल या भरोसेमंद बताते हैं, रेलवे के नियमों के खिलाफ गलत जानकारी फैला रहे हैं। इन दावों के कारण यात्रियों में भ्रम बढ़ रहा है और कभी-कभी अधिकारीयों से बहस तक हो जाती है। अब रेलवे ने इन व्लॉगर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की शुरुआत कर दी है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया पर कई लोग यह दिखा रहे हैं कि ‘साधारण टिकट लेकर भी AC कोच में यात्रा कर सकते हैं’। कुछ वीडियो में यह भी दावा किया जा रहा है कि बिना रिजर्वेशन के यात्रा पर केवल ₹250 का जुर्माना भरना होगा और प्लेटफॉर्म टिकट की जरूरत नहीं है। ऐसे दावे यात्रियों को गुमराह कर रहे हैं और नियम तोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

क्या वाकई बिना रिजर्वेशन AC में यात्रा करना संभव है?

रेलवे ने साफ किया है कि ये पूरी तरह से गलत है। AC डिब्बे में यात्रा करने के लिए हमेशा रिजर्वेशन होना आवश्यक है। बिना रिजर्वेशन यात्रा करना न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि यात्री के लिए भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का कारण बन सकता है। रेलवे ने इस बात पर जोर दिया कि स्टेशनों, यार्ड और डिपो में बिना अनुमति वीडियोग्राफी या फोटो लेना अपराध है। सोशल मीडिया पर फैल रही गलत जानकारी और फेक वीडियो के कारण रेलवे को अब कड़े कदम उठाने पड़े हैं।

व्लॉगर्स क्यों परेशान कर रहे रेलवे को?

रेलवे के अनुसार, कुछ व्लॉगर्स लाखों फॉलोअर्स के साथ ऐसे वीडियो पोस्ट कर रहे हैं। इन वीडियो में कहा जा रहा है कि रेलवे नियम आसान हैं, जुर्माना कम है, प्लेटफॉर्म टिकट जरूरी नहीं। इन दावों की वजह से कई यात्री नियम तोड़ देते हैं और स्टाफ के साथ बहस करते हैं। इसका असर साफ देखा जा सकता है – स्टेशनों पर भीड़ बढ़ जाती है, अधिकारीयों का समय बर्बाद होता है और सुरक्षा खतरे में पड़ जाता है।

रेलवे ने क्या कदम उठाए?

दक्षिणी रेलवे ने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। जिन व्लॉगर्स ने गलत जानकारी फैलाई, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही रेलवे ने X प्लेटफॉर्म पर एक फैक्ट-चेक हैंडल भी लॉन्च किया है, जहां कोई भी गुमराह करने वाली जानकारी रिपोर्ट की जा सकती है। रेलवे का मकसद है कि स्टेशनों, डिपो और रेलवे परिसरों में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी नियमों के अनुसार ही हो। बिना अनुमति शूटिंग करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

क्या सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो सच्चाई बताता है?

रेलवे का कहना है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो अक्सर फेक, एडिटेड या आधी-अधूरी जानकारी वाले होते हैं। यात्रियों को गुमराह करने के लिए इन्हें बनाना और शेयर करना नियमों का उल्लंघन है।रेलवे ने सभी यात्रियों से अपील की है कि ऑफिशियल जानकारी केवल रेलवे की वेबसाइट या फैक्ट-चेक हैंडल से ही लें।

क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे फर्जी वीडियो? क्या सच जानने वाले लोग कम हो गए हैं?

आजकल सोशल मीडिया पर “रेलवे जुगाड़”, “AC में ऐसे करें फ्री ट्रैवल”, “बिना टिकट पकड़े गए तो ऐसे बचें” जैसे वीडियो खूब चल रहे हैं। लाखों लोग केवल मनोरंजन में इन्हें देख लेते हैं, लेकिन कई लोग इन्हें सच मानकर वैसी ही हरकतें कर बैठते हैं। दक्षिणी रेलवे का कहना है कि कुछ व्लॉगर सिर्फ व्यूज और फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए ऐसे खतरनाक कंटेंट बना रहे हैं। इससे:

  • स्टाफ पर हमला और बहस बढ़ रही है
  • बिना टिकट यात्रा की घटनाएं बढ़ रही हैं
  • नियमों का दुरुपयोग हो रहा है
  • AC कोच में भीड़ बढ़ती है
  • सुरक्षा व्यवस्था कमजोर पड़ती है
  • इसी वजह से रेलवे अब पीछे हटने के मूड में नहीं है।

अब आगे क्या होगा? रेलवे कितना सख्त हो सकता है?

सूत्रों के मुताबिक चेन्नई डिवीजन जल्द ही गलत वीडियो फैलाने वाले व्लॉगर्स पर FIR , रेलवे परिसर में बिना अनुमति शूट करने वालों पर जुर्माना, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से शिकायत और गलत कंटेंट हटाने के लिए नोटिस जैसे कदम उठाने जा रहा है। रेलवे का कहना है कि सही सूचना पब्लिक तक पहुंचना बेहद जरूरी है, और यदि कोई जान-बूझकर गलत बातें फैलाकर यात्रियों को भड़काता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।