सार
राजस्थान के जैसलमेर में 180 मिलियन वर्ष पुराने डायनासोर के अंडे के जीवाश्म की उल्लेखनीय खोज, प्रागैतिहासिक खोजों के स्थल के रूप में इस क्षेत्र के बढ़ते महत्व को बढ़ाती है।
राजस्थान। प्रदेश के एक वैज्ञानिक ने ऐसी जानकारी साझा की है जिसे सुनकर हर कोई दंग हो गया है। वैज्ञानिक ने दावा किया है कि जैसलमेर में जेठवई-गजरूप सागर की पहाड़ियों में डायनासोर के अंडे का जीवाश्म मिला है। यह खोज जो लगभग 180 मिलियन वर्ष पुरानी मानी जाती है, उसका दावा शनिवार को वैज्ञानिक ने किया था। यह उसी क्षेत्र में है जहां 167 मिलियन वर्ष पुराने एक शाकाहारी, लंबी गर्दन वाले डायनासोर के जीवाश्म के अवशेष वर्ष 2018 में खोजे गए थे।
180 मिलियन वर्ष पुराना डायनासोर के अंडे का जीवष्म
वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इंखिया ने दावा करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला है कि उन्हें डायनासोर के अंडे का जीवाश्म कैसे मिला। उन्होंने यह भी बताया कि डायनोसोर के जीवन और रिसर्च के लिए इसका कितना महत्व है। उन्होंने बताया कि यह जीवाष्म लगभग 180 मिलियन वर्ष पुराने डायनासोर के अंडे काहो सकता है। यह भी बताया कि इसकी खोज जैसलमेर के इस क्षेत्र में की गई थी। उन्होंने बताया कि 2018 में एक शाकाहारी डायनासोर का जीवाश्म यहां पाया गया था।
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अंडे की जीवाष्म का वजन 100 ग्राम
वैज्ञानिक ने बताया कि डायनासोर के अंडे के जीवाश्म का वजन करीब 100 ग्राम है। इसकी लंबाई लगभग 1 से 1.5 इंच है। इस जीवाष्म को प्रयोगशाला में जांच और रिसर्च के लिए भेजा गया है। रिसर्च के बाद इस जीवाष्म के बारे में और अधिक जानकारी मिल सकेगी।
डायनासोर का यह अंडा मेसोजोइक युग का होने का अनुमान
जैसलमेर के विशेषज्ञों का अनुमान है डायनासोर का यह अंडा मेसोजोइक युग का हो सकता है। यह पृथ्वी के इतिहास में एक आकर्षक अवधि है जिसे अक्सर "डायनासोर का युग" कहा जाता है। मेसोजोइक युग को तीन महत्वपूर्ण अवधियों में बांटा गया है। इनमें ट्राइसिक, जुरासिक और क्रेटेशियस युग है।
खास ये भी है कि पश्चिमी राजस्थान में प्रसिद्ध थार रेगिस्तान डायनासोर की खोजों के लिए स्पेसिफिक प्लेस के रूप में सामने आया है। जैसलमेर में 180 मिलियन वर्ष पुराने डायनासोर के अंडे के जीवाश्म मिलने से विज्ञान और खोजों के लिए अब राजस्थान का महत्व बढ़ जाएगा।