सार

कोलकाता हाई कोर्ट ने मंगलवार को नगर के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को राहत प्रदान करते हुए करोड़ों रुपये के चिटफंड घोटाले में उन्हें अग्रिम जमानत दे दी और कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए। न्यायमूर्ति एस मुंशी और न्यायमूर्ति एस दासगुप्ता की पीठ ने कहा कि अगर इस मामले में सीबीआई कुमार को गिरफ्तार करती है तो उन्हें 50-50 हजार रुपये के दो मुचलके पर सक्षम अदालत जमानत पर तुरंत रिहा करे।

कोलकाता. कोलकाता हाई कोर्ट ने मंगलवार को नगर के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को राहत प्रदान करते हुए करोड़ों रुपये के चिटफंड घोटाले में उन्हें अग्रिम जमानत दे दी और कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए। न्यायमूर्ति एस मुंशी और न्यायमूर्ति एस दासगुप्ता की पीठ ने कहा कि अगर इस मामले में सीबीआई कुमार को गिरफ्तार करती है तो उन्हें 50-50 हजार रुपये के दो मुचलके पर सक्षम अदालत जमानत पर तुरंत रिहा करे।

ऐसा मामला नहीं कि हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए

पीठ ने कहा कि मामले की जांच कर रही सीबीआई के साथ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कुमार ने सहयोग किया और यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए। पीठ ने कुमार को जांच अधिकारियों को सहयोग करने का निर्देश दिया है। कुमार अभी पश्चिम बंगाल अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के अतिरिक्त महानिदेशक हैं।

पूछताछ के लिए 48 घंटे के अंदर जांच अधिकारियों तक पहुंचने के निर्देश 

- पीठ ने कुमार को 48 घंटे पहले सीबीआई का नोटिस मिलने पर मामले में जांच अधिकारियों के समक्ष उपलब्ध रहने का भी निर्देश दिया। इससे पहले 21 सितंबर को कुमार की अग्रिम जमानत याचिका अलीपुर जिला और सत्र अदालत ने खारिज कर दी थी।

- सीबीआई ने 27 मई से कुमार को कई नोटिस जारी किए हैं और उन्हें सारदा चिट फंड घोटाले में गवाह के तौर पर पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहा है।

- हालांकि, वह सीबीआई अधिकारियों के सामने उपस्थित नहीं हुए और विभिन्न वजहों का जिक्र करते हुए हर मौके पर अधिक समय मांगा।

- सारदा समूह की कंपनियों ने लाखों लोगों के साथ कथित तौर पर 2,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। लोगों को उनके निवेश पर ऊंची दर से ब्याज दिए जाने का वादा किया गया था।

- जनवरी में सीबीआई टीम कुमार के आधिकारिक आवास पर उनसे पूछताछ करने के लिए पहुंची थी लेकिन स्थानीय पुलिस द्वारा उनके अधिकारियों को हिरासत में लेने के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा था। इस मामले को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच अभूतपूर्व टकराव की स्थिति पैदा हो गयी थी।