लाल किला विस्फोट की जांच में बड़ा खुलासा-अल-फ़लाह विश्वविद्यालय से जुड़े दो डॉक्टर और एक अन्य व्यक्ति हिरासत में। UGC-NAAC की अनियमितता रिपोर्ट पर दो FIR दर्ज। ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ की फंडिंग, उर्वरक खरीद, मस्जिद रिकॉर्ड और CCTV की जांच तेज।
नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किले के पास हुए भीषण विस्फोट को कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन इस धमाके से जुड़ी जांच हर घंटे नए मोड़ ले रही है। यह सिर्फ एक सड़क हादसा या अचानक हुआ ब्लास्ट नहीं था—जांच एजेंसियों को यहां एक ऐसे नेटवर्क का सुराग मिला है, जिसे अधिकारी ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ कह रहे हैं। इस मॉड्यूल में शामिल लोग सामान्य गुनहगारों की तरह नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे, समाज में सम्मानित और बड़े पदों पर कार्यरत लोग बताए जा रहे हैं।
इसी जांच के तहत अल-फ़लाह विश्वविद्यालय से जुड़े दो डॉक्टर, मोहम्मद और मुस्तकीम, और एक अन्य व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। धमाके में कुल 13 लोगों की मौत हो चुकी है, और इस केस को अब एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया है। इस पूरे मामले में आखिर क्या-क्या निकलकर सामने आया है? कौन लोग हैं इस मॉड्यूल के पीछे? और जांच किस दिशा में बढ़ रही है? आइए पूरी कहानी सरल भाषा में समझते हैं-
अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी पर एक साथ दो FIR क्यों दर्ज हुईं?
धमाके की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि UGC और NAAC ने अल-फ़लाह विश्वविद्यालय के कामकाज में कई “बड़ी अनियमितताएं” पाई थीं।
इसी आधार पर:
- धोखाधड़ी
- जालसाजी
- फर्जी दस्तावेज
जैसे आरोपों में दो अलग-अलग FIR दर्ज की गईं।
जांच टीम विश्वविद्यालय के ओखला ऑफिस भी पहुंची और कई दस्तावेज कब्जे में लिए। सवाल उठ रहा है—क्या ये अनियमितताएं सीधे ब्लास्ट की साजिश से जुड़ी हैं?
कौन हैं वे दो डॉक्टर जिन्हें हिरासत में लिया गया?
हिरासत में लिए गए दोनों डॉक्टरों का नाम:
- डॉ. मोहम्मद
- डॉ. मुस्तकीम
दोनों अल-फ़लाह विश्वविद्यालय से जुड़े हैं और ब्लास्ट करने वाली हुंडई i20 कार के चालक डॉ. उमर नबी को बहुत अच्छी तरह जानते थे। सूत्रों के अनुसार ये दोनों डॉक्टर डॉ. मुज़म्मिल गनई के भी संपर्क में थे-जो इस समय “सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल” केस में गिरफ्तार है। अब जांच टीम यह समझने की कोशिश कर रही है:
- क्या डॉक्टर इस साजिश का हिस्सा थे?
- क्या वे इसके लिए फंडिंग, प्लानिंग या तकनीकी सहायता दे रहे थे?
- या वे सिर्फ संपर्क में थे?
26 लाख रुपये की फंडिंग-धमाके का असल पैसा कहां से आया?
जांचकर्ताओं का दावा है कि इस मॉड्यूल ने लगभग: 26 लाख रुपये इकट्ठा किए, जिनमें से 3 लाख रुपये से NPK उर्वरक खरीदा गया। NPK उर्वरक का इस्तेमाल आमतौर पर खेती में होता है, लेकिन देसी बम (IED) बनाने में भी इसकी भूमिका होती है। यहीं से तस्वीर और उलझ गई- क्योंकि तीसरा हिरासत में लिया गया शख्स, दिनेश उर्फ डब्बू, बिना लाइसेंस उर्वरक बेच रहा था। अब जांच हो रही है कि क्या दिनेश ने सीधे मॉड्यूल को उर्वरक दिया? क्या वह सिर्फ सप्लायर था, या साजिश में उसकी भूमिका और बड़ी थी?
उमर किससे मिला था? किससे बात की? क्यों बदला था रास्ता?
जांच के दौरान कई CCTV फुटेज मिले हैं:
- फरीदाबाद की फुटेज: जहां उमर एक बैग से मोबाइल निकालकर किसी से उसे चार्ज करने की बात करता दिखा।
- लाल किला मेट्रो स्टेशन की फुटेज: विस्फोट के समय स्टेशन हिलता दिखाई देता है और लोग घबरा जाते हैं।
- वज़ीरपुर के चाय वाले से पूछताछ: उमर धमाके से ठीक पहले वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक चाय की दुकान पर 10–15 मिनट रुका था। पुलिस ने उसी चाय विक्रेता से पूछताछ की। विक्रेता ने कहा कि वह हर ग्राहक को ध्यान से नहीं देखता।
- मस्जिद से मांगे गए रिकार्ड: इसी तरह पुलिस ने आसफ अली रोड की मस्जिद से भी रिकॉर्ड मांगे हैं, जहां उमर विस्फोट के कुछ घंटे पहले देखा गया था। साथ ही फरीदाबाद में एक मस्जिद के इमाम से भी पूछताछ की गई, जो मुज़म्मिल का करीबी बताया जाता है। जांच टीम यह समझने की कोशिश कर रही है कि विस्फोट से पहले उमर किन जगहों पर गया? किससे मिला? क्या कोई अंतिम निर्देश या उपकरण उसे यहीं मिला?
क्या मस्जिदों, किरायेदारों और दुकानों की जांच आतंकी कनेक्शन की ओर इशारा करती है?
फरीदाबाद पुलिस की रिपोर्ट चौंकाती है -
- 140 मस्जिदों की जांच
- 1,700 किरायेदारों का सत्यापन
- 40 खाद-बीज दुकानें चेक
- 200 होटल-गेस्टहाउस की जांच
- 500+ कश्मीरियों का वेरिफिकेशन
इतनी बड़ी जांच अब इस बात का संकेत है कि एजेंसियां इसे सिर्फ एक धमाका नहीं, बल्कि विस्तृत आतंकी मॉड्यूल के रूप में देख रही हैं।
सुनहरी मस्जिद पार्किंग में 3 घंटे-कार ने क्या-क्या किया?
- सुनहरी मस्जिद पार्किंग में ब्लास्ट वाली कार लगातार तीन घंटे तक खड़ी रही थी।
- पुलिस ने वहां आए हर वाहन का नंबर, समय, मालिक का विवरण सब दर्ज किया है।
NIA अब क्या कर रही है? जांच की दिशा कहां जा रही है?
NIA ने UAPA के तहत केस लिया है और अब यह जांच:
- फंडिंग नेटवर्क
- उर्वरक सप्लाई चेन
- डॉक्टरों के कनेक्शन
- यूनिवर्सिटी की संदिग्ध गतिविधियों
- उमर और गनई के रिश्ते
- सबको जोड़कर आगे बढ़ रही है।
लाल किला विस्फोट की जांच अब दिल्ली पुलिस, स्पेशल सेल और NIA-तीनों एजेंसियों के हाथ में है। हर दिन नए नाम, नई लोकेशन और नए कनेक्शन सामने आ रहे हैं। ये मामला जितना साधारण लग रहा था, उतना ही जटिल और रहस्यमय साबित हो रहा है। आने वाले दिनों में कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
