जांच टीम को शक है कि लाल किला ब्लास्ट केस में पकड़े गए लोगों को अफगानिस्तान में ट्रेनिंग मिली थी। यह भी पता चला है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के लिए काम करने वाले डॉक्टरों को विदेश से बम बनाने के वीडियो मिले थे।
नई दिल्ली: शक है कि लाल किला ब्लास्ट की साजिश रचने वालों को अफगानिस्तान में ट्रेनिंग मिली थी। जांच टीम को कुछ ऐसे सुराग मिले हैं कि गिरफ्तार मुजम्मिल तुर्की के रास्ते अफगानिस्तान गया था। यह साफ हो गया है कि उमर नबी और गिरफ्तार डॉक्टर, पाकिस्तानी आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और आईएस की शाखा अंसार गजवत-उल-हिंद के लिए काम कर रहे थे। तुर्की के अंकारा से 'उकासा' कोडनेम वाला एक शख्स डॉक्टरों, जैश और अंसार के बीच बिचौलिए का काम कर रहा था।
विदेश से आतंकियों ने डॉक्टरों को बम बनाने के वीडियो भेजे थे। जानकारी के मुताबिक, बम इसी तरह बनाया गया था। एजेंसियों को विदेश से धमाके को कंट्रोल करने वाले तीन आतंकियों के नाम मिले हैं। इनमें से उकासा नाम का शख्स ही मुजम्मिल को तुर्की और अफगानिस्तान ले गया था। जांच टीम इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी मिर्जा शादाब बेग की भूमिका की भी जांच कर रही है। बेग 2008 के बटला हाउस एनकाउंटर के बाद से फरार है और उसने अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई की थी।
लाल किला ब्लास्ट के सिलसिले में जांच टीम ने उमर नबी के सोशल मीडिया अकाउंट के बारे में जानकारी मांगी है। एजेंसी आतंकी समूह के अन्य सदस्यों की तलाश में कानपुर में भी जांच कर रही है। आतंकियों से संबंध के शक में हिरासत में लिए गए हापुड़ के डॉक्टर को छोड़ दिया गया है।
4 लोगों को पूछताछ के लिए 10 दिन की कस्टडी में भेजा गया
लाल किला ब्लास्ट केस में एनआईए द्वारा कल गिरफ्तार किए गए 4 लोगों को कोर्ट ने पूछताछ के लिए दस दिन की कस्टडी में भेज दिया है। एनआईए को डॉ. मुजम्मिल शाहीन, डॉ. अदील अहमद, महिला डॉक्टर शाहीन सैयद और मुफ्ती इरफान अहमद से दस दिन तक पूछताछ करने की कस्टडी मिली है। एनआईए ने पंद्रह दिन की कस्टडी मांगी थी। इससे पहले अमीर राशिद अली और सीर बिला वानी को भी गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अब तक एनआईए ने कुल 6 लोगों की गिरफ्तारी दर्ज की है।
