सार

किसान नेताओं ने कहा कि सरकार की उपेक्षा और खेती में कम लाभ के कारण किसान खेती छोड़कर दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। इसलिए ऐसे उपाय करने की जरूरत है, ताकि किसान खेती न छोड़ें।

नई दिल्ली. आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की एक विरोध रैली का ऐलान किया है। इसमें पीएम-किसान योजना( PM-KISAN scheme) के तहत वित्तीय सहायता बढ़ाने और कृषि उपकरणों और उर्वरकों से जीएसटी को हटाने की मांग उठाई जा रही है। बीकेएस अखिल भारतीय सचिव के साई रेड्डी( BKS all-India secretary K Sai Redd) ने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने 8 और 9 अक्टूबर को शहर में अपनी बैठक में फैसला किया कि किसानों की वित्तीय स्थिरता सर्वोपरि है और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।

19 दिसंबर को दिल्ली में किसान गर्जना रैली से पहले जागरुकता कार्यक्रम
रेड्डी ने कहा कि किसान गर्जना रैली और विरोध रैली 19 दिसंबर को होगी। संगठन ने केंद्र सरकार से कृषि इनपुट पर जीएसटी हटाने की मांग की है। रेडी ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- इसके अलावा हम किसान सम्मान राशि बढ़ाने की अपनी मांग के लिए भी सरकार पर दबाव डालेंगे। रेड्डी ने कहा कि महंगाई को ध्यान में रखते हुए इसे भी बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को इन मुद्दों और रैली के बारे में जागरूक करने के लिए अक्टूबर और नवंबर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बीकेएस महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि देश भर के किसान 19 दिसंबर को होने वाली रैली में हिस्सा लेंगे और अपनी स्थिति की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करेंगे। उन्होंने कहा, "कृषि में इनपुट की बढ़ती कीमतों के कारण देश में किसानों की दुर्दशा और खराब हो गई है।"

बीकेएस की मांगों पर विस्तार से बताते हुए मिश्रा ने कहा, "किसान विभिन्न कृषि उपकरणों पर जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं। उत्पादक होने के बावजूद उन्हें कोई इनपुट क्रेडिट नहीं मिल रहा है। इसलिए या तो सरकार को जीएसटी में इनपुट शेयर को शून्य करना चाहिए या किसानों को उनकी उपज की कीमत पर लाभ सुनिश्चित करना चाहिए।"

मिश्रा ने यह कहते हुए कि किसान अपनी फसलों के लाभदायक मूल्य का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को एक "त्रुटिपूर्ण" कान्सेप्ट करार दिया। उन्होंने कहा, "उत्पादन लागत पर विचार करने के बाद फसलों के लाभदायक मूल्य के आधार पर एक नया मूल्य निर्धारण तंत्र होना चाहिए। एमएसपी की मौजूदा प्रणाली त्रुटिपूर्ण है।"

बता दें कि केंद्र ने हाल ही में किसानों के एमएसपी से संबंधित मुद्दों को देखने के लिए एक समिति नियुक्त की है। किसान नेता ने कहा कि उन्होंने यह भी मांग की कि पीएम-किसान सम्मान निधि, जो प्रति किसान 6,000 रुपये प्रति वर्ष है, को महंगाई से जोड़कर नियमित रूप से बढ़ाया जाना चाहिए।"

मिश्रा ने यह दावा करते हुए कि उर्वरक और यूरिया को गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए डायवर्ट किया जा रहा है, उर्वरक सब्सिडी सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर की जानी चाहिए।"

सरकार पर लगाया किसानों की उपेक्षा का आरोप
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार की उपेक्षा और खेती में कम लाभ के कारण किसान खेती छोड़कर दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। इसलिए ऐसे उपाय करने की जरूरत है, ताकि किसान खेती न छोड़ें। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों और उनकी आय को दोगुना करने की बात करती है, इसलिए उसे किसानों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए ये कदम उठाने चाहिए। 

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