सार
यूक्रेन के पूर्वोत्तर क्षेत्र सुमी(City in Ukraine) में फंसे 700 भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी इतनी आसान नहीं थी, जितनी दिख रही है। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) भी अच्छे से वाकिफ थे। इसलिए उन्होंने रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपति को फोन लगाया, ताकि उन पर हमला न हो। जानिए कैसे संभव हुई सुमी से भारतीय छात्रों की निकासी...
वर्ल्ड न्यूज डेस्क. रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) का 9 मार्च को 14वां दिन है। इस बीच यूक्रेन के पूर्वोत्तर क्षेत्र सुमी(City in Ukraine) में फंसे 700 भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी इतनी आसान नहीं थी, जितनी दिख रही है। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) भी अच्छे से वाकिफ थे। इसलिए उन्होंने रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपति को फोन लगाया, ताकि उन पर हमला न हो। हालांकि अब इन छात्रों को सुरक्षित कॉरिडोर खुलने के बाद निकाल लिया गया है। ये छात्र यहां 13 दिनों से फंसे हुए थे। बता दें कि इस मामले में PM मोदी ने पुतिन और जेलेंस्की से बात की थी।
success story of operation ganga: मोदी को करने पड़े दो कॉल
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Russian President Vladimir Putin) और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की(Ukrainian President Volodymyr Zelensky) के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के फोन कॉल ने छात्रों के लिए रास्ता साफ करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। सुमी में भारी बमबारी और गोलियों के बीच छात्रों ने एसओएस वीडियो भेजे थे, लेकिन भारतीय अधिकारी उनके लिए सुरक्षित मार्ग की व्यवस्था करने में असमर्थ थे। छात्रों ने कहा कि उनके पास भोजन और पानी की कमी हो गई है और यहां तक कि खुद शहर छोड़ने की धमकी भी दी है। बता दें कि SOS एक संकेत है, जो बताता है कि आप खतरे में हैं। आपको मदद की जरूरत है।
पहली कोशिश नाकाम रही थी
न्यूज एजेंसी ANI ने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि यह एक जटिल और खतरनाक स्थिति थी। सोमवार को इन छात्रों को शिफ्ट करने का पहला प्रयास विफल हो गया था। इसके बाद खतरा और अधिक बढ़ गया था। इसके बाद मोदी ने रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति से फोन पर बात की, तब दोनों नेताओं ने भारतीय छात्रों के लिए सुरक्षित मार्ग देने का भरोसा दिलाया। दोनों नेताओं ने इस मामले को लेकर अपनी-अपनी तरफ से हरी झंडी दिखाई और PM मोदी से कहा कि भारतीय छात्रों के लिए सुरक्षित मार्ग में कोई समस्या नहीं है।
दोनों देशों ने मानवीय गलियारा बनाने के निर्देश दिए थे
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मोदी के कॉल के बाद मॉस्को और कीव के अधिकारियों ने मानवीय गलियारा(humanitarian corridor) बनाने के निर्देश दिए। इस तरह मंगलवार को छात्रों को सूमी में एक जगह से बसों में बैठाकर मध्य यूक्रेन के पोल्टावा ले जाया गया। विदेश मंत्री एस जयशंकर(External Affairs Minister S Jaishankar) भी रूस, यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों में अपने समकक्षों के साथ लगातार संपर्क में थे। ANI ने कहा कि भारत ने छात्रों को निकालने में मदद के लिए जिनेवा और यूक्रेन दोनों में रेड क्रॉस के साथ बातचीत की। इसने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि युद्धग्रस्त क्षेत्र में बसों को किराए पर लेना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि यूक्रेनी ड्राइवर रूसी सीमा की तरफ जाने के लिए तैयार नहीं थे।
12 बसों के साथ निकला था काफिला
ऑपरेशन गंगा के तहत मंगलवार सुबह करीब 10 बजे( मॉस्को टाइम) युद्धविराम के बीच भारतीय छात्रों और नागरिकों का काफिल 12 बसों के जरिये सुमी से यूक्रेन के पोल्टावा के लिए निकला। इंडियन वर्ल्ड डिस्कशन बोर्ड के अध्यक्ष( World Discussion board President Puneet Singh Chandok) पुनीत सिंह चंडोक के के अनुसार, सुमी से सभी भारतीयों को निकाल लिया गया है। काफिले में भारत के अलावा बांग्लादेशी और नेपाली नागरिक भी शामिल थे। ऑपरेशन गंगा के तहत भारत ने चेर्निहाइव, सूमी, खार्किव और मारियुपोल में फंसे अपने नागरिकों को निकाला है।
ऑपरेशन गंगा के तहत बांग्लादेशी और अन्य देशों के स्टूडेंट़्स भी लाए गए
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने ऑपरेशन गंगा(Operation Gang) के तहत बांग्लादेशी नागरिकों को बचाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी( PM Modi) को धन्यवाद कहा है। भारत ने अपने नागरिकों के साथ इस ऑपरेशन के जरिये 9 बांग्लादेशियों के अलावा नेपाल और ट्यूनेशियाई छात्रों को भी यूक्रेन से निकाला है। इनमें एक पाकिस्तान की अस्मा शफीक भी रहीं।
14 दिन हो गए युद्ध को
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia Ukraine War) का 9 मार्च को 14वां दिन है। 24 फरवरी, 2022 इतिहास में एक विध्वंसक निर्णय के लिए जाना जाएगा। इसी दिन भारतीय समयानुसार सुबह 8.30 बजे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Russian President Vladimir Putin) ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया था। इसके बाद रूस की सेना ने यूक्रेन पर हवाई हमले शुरू कर दिए। इन हमलों बाद यूक्रेन की राजधानी कीव(Kyiv) के अलावा खार्किव, मारियुपोल और ओडेसा(Kharkiv, Mariupol and Odessa) में बर्बादी के मंजर दिखाई देने लगे हैं।