सार
नई दिल्ली में आयोजित 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन (21st India-Russia Annual Summit) में शामिल होने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन(Vladimir Putin) 6 दिसंबर को एक दिवसीय यात्रा पर भारत में होंगे। भारत और रूस की मित्रता चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए टेंशन की वजह बन गई है। जानिए क्यों...
नई दिल्ली. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन(Vladimir Putin) एक दिन की महत्वपूर्ण यात्रा पर 6 दिसंबर को भारत में होंगे। वे नई दिल्ली में आयोजित 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन (21st India-Russia Annual Summit) में शामिल होंगे। इस दौरान रूस और भारत डिफेंस और फॉरेन जैसे मुद्दों पर द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। पुतिन की इस यात्रा को लेकर चीन और पाकिस्तान के कान खड़े हो गए हैं। इसकी वजह रूस और भारत के बीच सैन्य समझौते हैं। शिखर सम्मेलन में नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन के बीच बात होगी। इस दौरान 10 समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। शिखर सम्मेलन में रक्षा मामलों सहित कई महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान भारत और रूस के बीच असॉल्ट राइफल AK-203 के निर्माण को लेकर सौदा होगा। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर(EAM Dr. S Jaishankar) ने कहा-हमारे लिए वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन एक अनूठा आयोजन है। प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन महान विश्वास और विश्वास का रिश्ता साझा करते हैं। हम शिखर सम्मेलन से कुछ बहुत महत्वपूर्ण परिणामों की आशा कर रहे हैं। (मोदी और पुतिन की पिछली मुलाकात की एक तस्वीर)
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने भारत और रूस के बीच हुए समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा-रूस हमारा विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साथी है। हमारे संबंध बहुपक्षवाद, वैश्विक शांति, समृद्धि और आपसी समझ और विश्वास में समान रुचि के आधार पर समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। रक्षा सहयोग हमारी साझेदारी के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। मुझे उम्मीद है कि भारत-रूस साझेदारी पूरे क्षेत्र में शांति लाएगी और इस क्षेत्र को स्थिरता प्रदान करेगी। भारत-रूस डिफेंस इंगेजमेंट में हाल के दिनों में अभूतपूर्व तरीके से प्रगति हुई है। हमें उम्मीद है कि रूस इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भारत के लिए एक प्रमुख भागीदार बना रहेगा।
रूस के रक्षामंत्री सर्गेई शोइगु ने कहा-हमारे देशों के संबंध के लिए इस समय सैन्य और तकनीकी क्षेत्र में भारत-रूस का सहयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। आज अंतर सरकारी आयोग की बैठक में रक्षा क्षेत्र सहयोग के बारे में रक्षा मंत्री के साथ हमारी विस्तृत चर्चा हुई।
विदेश मंत्री ने कहा
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा-ये हमारी चौथी बैठक है। ये भारत और रूस के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है। आज हमारे पास न केवल अपने द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक स्थिति पर चर्चा करने का अवसर है बल्कि हम पहली 2+2 बैठक में भी हिस्सा लेंगे। हमारे लिए वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन यूनिक इवेंट है।PM मोदी और राष्ट्रपति पुतिन विश्वास का रिश्ता साझा करते हैं। हम शिखर सम्मेलन से बहुत ही महत्वपूर्ण परिणामों की आशा कर रहे हैं। भारत-रूस के बीच साझेदारी यूनिक है। मुझे विश्वास है कि आज की वार्ती बहुत फलदायी होगी।
70 साल पुराना रिश्ता है...
भारत रूस से सुपर एडवांस्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-500 या S-500 SAM खरीदने जा रहा है। यह S-400 मिसाइल से भी बहुत ज्यादा खतरनाक और पावरफुल है। इसकी डिलीवरी भारत को शुरू हो चुकी है। भारत ने 2018 में रुस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की डील की थी। अभी रूस के अलावा चीन और तुर्की के पास ही यह एडवांस सिस्टम मौजूद है। इस वजह से चीन और पाकिस्तान को छोड़िए अमेरिका तक की टेंशन सामने आ चुकी है।
रूस और भारत का 70 साल पुराना रिश्ता है। 1991 से भारत अब तक रूस से 70 बिलियन डॉलर से अधिक के सैन्य उपकरण खरीद चुका है। अमेरिका के तनाव की वजह यह है कि भारत सैन्य उपकरण खरीदने में अब अमेरिका से अधिक रूस को तवज्जो देने लगा है। यह सैन्य सामग्री अमेरिकी की तुलना में रूस से सस्ती पड़ती है। तीन साल पहले जब तीन वर्ष पहले जब रूस और भारती क एस-400 डील हो रही थी, तब भी पाकिस्तान और चीन के अलावा अमेरिका को आपत्ति हुई थी।
चीन और पाकिस्तान विवाद
चीन और पाकिस्तान से विवाद के बीच रूस का भारत के प्रति झुकाव एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। चीन को लेकर और कश्मीर में धारा 370 पर रूस हमेशा भारत के पक्ष में रहा है। मिलिट्री हार्डवेयर के अलावा भारत रूस से छोटे हथियार, एयरक्राफ्ट्स, शिप्स, कैरियर एयरक्राफ्ट (INS विक्रमादित्य) और सबमरीन्स भी खरीदता है। दोनों देश ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल भी मिलकर बना रहे हैं।
बीच में कुछ दूरियां नजर आई थीं
दिसंबर, 2019 में पुतिन भारत आने वाले थे, लेकिन यह यात्रा टाल दी गई थी। तब रूस का पाकिस्तार और चीन के प्रति नरम रुख भारत-रूस की दोस्ती के बीच एक सवाल बनकर सामने आया था। तब कहा जाने लगा था कि इनकी दोस्ती में अब पहले जैसी बात नहीं रही। हालांकि पिछले कुछ समय से फिर से दोनों देशों के बीच मित्रता और मजबूत हुई है।
पहले भी मदद करता रहा है रूस
भारत में औद्योगिक क्रांति के पीछे रूस की मदद ही रही है। भारत में स्टील कारखाने बनवाने में रूस ने मदद की थी। कि 1971 के युद्ध के दौरान अमेरिकी नौसैनिक बेड़ा भारत पर हमला करने की सोच रहा था, लेकिन रूस ने भारत की मदद के लिए अपना युद्धपोत भेज दिया था। इससे अमेरिका को पीछे हटना पड़ा। रूस की मदद से ही भारतीय अंतरिक्ष यात्रा राकेश शर्मा अंतरिक्ष की सैर पर गए थे।
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