सद्गुरु ने कहा है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को तुरंत रोका जाए। इस तरह की घटनाओं को विस्तार से रिपोर्ट किया जाए। इस मामले में भारत अपनी जिम्मेदारी निभाए।

नई दिल्ली। बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद हिंदू समाज के खिलाफ हिंसा (Violence in Bangladesh against Hindus) हुई है। हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ सद्गुरु खुलकर सामने आए हैं।

सद्गुरु ने कहा है कि बांग्लादेश में हो रहे घृणित अत्याचारों पर तत्काल रोक लगाना बहुत जरूरी है। इन घटनाओं का जहां तक संभव हो विस्तार से रिपोर्ट करना चाहिए। पूर्वी पाकिस्तान के रूप में बांग्लादेश के भारत से अलग होने की ओर इशारा करते हुए सद्गुरु ने कहा, "हाल के समय में जो राष्ट्रीय सीमाएं खींची गई हैं, वे निरपेक्ष नहीं हैं। सांस्कृतिक संबंध और सभ्यता के जुड़ाव कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। भारत को सिर्फ सीमा तर्क से नहीं बल्कि 75 साल से भी पुरानी सभ्यता की वास्तविकताओं से बंधा होना चाहिए।"

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बांग्लादेश हिंसा मामले में भारत निभाए बड़ी भूमिका

सद्गुरु ने अपील की कि भारत को बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा के मामले में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार की घटनाओं को विस्तार से दर्ज करना जरूरी है ताकि सच्चाई भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखी जा सके।

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बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब सद्गुरु ने बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर भारत की बड़ी जिम्मेदारी पर बात की है। कुछ दिन पहले, सद्गुरु ने एक्स पर इसी तरह के विचार शेयर किए थे। उन्होंने पोस्ट किया था, "हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार सिर्फ बांग्लादेश का आंतरिक मामला नहीं है। अगर हम अपने पड़ोस में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा तय करने के लिए जल्द से जल्द खड़े होकर कार्रवाई नहीं करते हैं तो भारत महा-भारत नहीं बन सकता। बांग्लादेश पहले भारत का हिस्सा था। यह दुर्भाग्य से वह पड़ोसी देश बन गया है। इसलिए वहां के हिंदुओं की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।"