सार

1947 में 10 लाख से ज़्यादा लोगों की हत्या और 70 लाख से ज़्यादा लोगों के पलायन के साथ हुए भारत-पाकिस्तान बंटवारे पर सद्गुरु ने मानवता के आधार पर सवाल उठाए हैं।

देश के बँटवारे की त्रासदी के दिन सद्गुरु ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है। इसमें उन्होंने 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान 70 लाख से ज़्यादा लोगों के विस्थापन और 10 लाख से ज़्यादा लोगों की हत्या पर मानवता के आधार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और इस बँटवारे की ज़रूरत क्या थी?

इस वीडियो में सद्गुरु लेखक विक्रम संपत से बातचीत करते हुए बँटवारे के भयावह परिणामों पर चर्चा कर रहे हैं। सद्गुरु कहते हैं, "१० लाख से ज़्यादा लोग मारे गए, ७० लाख से ज़्यादा लोग बेघर हो गए। एक तरफ से दूसरी तरफ धकेल दिए गए।

 

कुछ बातें क्यों हुईं, यह बँटवारा क्यों हुआ, यह धर्म का सवाल नहीं है, यह मानवता का सवाल है। आज भी हमारे देश में इन सवालों को पूछने और उनके जवाब तलाशने की हिम्मत नहीं है। मुझे लगता है कि आने वाली पीढ़ी को ये सवाल पूछने चाहिए। 

 

60 लाख लोग अपना सब कुछ छोड़कर भागे, दूसरे देश में जाकर शरणार्थी बन गए। आज भी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। कुछ लोग तो 75 साल बाद भी शरणार्थी हैं। 10 लाख लोगों को काट डाला गया। 

अगर आप अपनी मानवता को सुला देंगे तो आप कुछ भी भूल सकते हैं। लेकिन अगर आपकी मानवता ज़िंदा है तो ये सवाल पूछे जाने चाहिए। इनके जवाब मिलने चाहिए। यह हमारी पीढ़ी के लिए, खासकर आने वाली पीढ़ी के लिए ज़रूरी है।"