सार
नागरिकता कानून के विरोध में तकरीबन दो माह से शाहीन बाग में सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे लोगों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ गुरुवार को दूसरे दिन धरना स्थल पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की।
नई दिल्ली. नागरिकता कानून के विरोध में तकरीबन दो माह से शाहीन बाग में सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे लोगों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ गुरुवार को दूसरे दिन धरना स्थल पर पहुंचे। इस दौरान वार्ताकार साधना रामचंद्रन नाराज हो गईं। उन्होंने कहा कि यहां बात करने का माहौल नहीं है। बातचीत के दौरान एक प्रदर्शनकारी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को ही गलत कह दिया था। तब वार्ताकारन ने कहा, ऐसा ही माहौल रहा तो हम कल नहीं आ पाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी दूसरी जगह पर मिलना चाहिए, जहां सिर्फ महिलाएं हों।
कल फिर होगी बात
वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने कहा, बातचीत चल रही है। पुलिस मदद कर रही है। वो भी समझने की कोशिश कर रही है कि इसमें कहां तक पुलिस का सहयोग हो सकता है। महिलाओं ने हमें आश्वासन दिया है कि कल आपको अनुशासन देखने को मिलेगा।
15 दिसंबर 2019 से हो रहा है विरोध प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शनकारी ओखला के शाहीन बाग में पिछले 68 दिन यानी 15 दिसंबर 2019 से डटे हुए हैं। आम रास्ता बंद होने से आसपास के दुकानदारों और रहवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रास्ता खाली कराने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ नियुक्त किए थे। इसके बाद मध्यस्थ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन बुधवार को शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से दो घंटे तक बातचीत की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। पिछली सुनवाई में जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा, लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वे रास्ता बंद कर दें। ऐसे में हर कोई प्रदर्शन कर रास्ता रोकने लगेगा।
वार्ताकारों ने कहा...
- वार्ताकार संजय हेगड़े ने कहा कि प्रदर्शन से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। हम चाहते हैं कि शाहीन बाग का प्रदर्शन देश के लिए मिसाल हो।
-जब तक सुप्रीम कोर्ट है आपकी बात सुनी जाएगी। आप पिछले 2 महीनों से बैठे हुए हैं, हम भारत में एक साथ रहते हैं ताकि दूसरों को असुविधा न हो।
-साधना रामचंद्रन ने कहा कि ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान नहीं हो सकता। हम हल निकालने की कोशिश करना चाहते हैं।
-रामचंद्रन ने कहा, आप ने हमे बुलाया था, इसलिए हम आए हैं। सुप्रीम कोर्ट मानता है कि आंदोलन आपका हक है। शाहीन बाग है और शाहीन बाग बरकरार रहेगा। हमें कोर्ट ने सड़क को लेकर बातचीत के लिए भेजा है।
24 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
इससे पहले जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा, लोगों को प्रदर्शन करने की इजाजत होनी चाहिए। हम सिर्फ नागरिकता कानून की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन लोगों को विरोध करने का, प्रदर्शन करने का अधिकार होना चाहिए। नियमों के मुताबिक, प्रदर्शन करने की जगह जंतर मंतर है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
15 दिसंबर से ही विरोध प्रदर्शन हो रहा है
शाहीन बाग में 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं। दिल्ली चुनाव में शाहीन बाग का मुद्दा जोरों पर था। यहां तक की गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 8 फरवरी को मतदान के दिन ईवीएम की बटन इतनी तेजी से दबाना की करंट शाहीन बाग में लगे।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता संशोधन विधेयक को 10 दिसंबर को लोकसभा ने पारित किया। इसके बाद राज्य सभा में 11 दिसंबर को पारित हुआ। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर को यह विधेयक कानून बन गया। इस कानून के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता के लिए संबंधित शख्स 6 साल पहले भारत आया हो। इन देशों के छह धर्म के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुला। ये 6 धर्म हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी हैं।