सार
भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना के संक्रमण को कम करने के लिए सरकार ने देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन किया है। स्कूल, कॉलेज, मॉल और दफ्तर सब बंद हैं। ऐसे में दुमका के एक ग्रामीण इलाके में बने स्कूल के हेडमास्टर ने मिसाल पेश की है।
रांची. भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना के संक्रमण को कम करने के लिए सरकार ने देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन किया है। स्कूल, कॉलेज, मॉल और दफ्तर सब बंद हैं। ऐसे में दुमका के एक ग्रामीण इलाके में बने स्कूल के हेडमास्टर ने मिसाल पेश की है। बच्चे भूखे ना रहें, इसलिए वे घर घर जाकर सूखा राशन और पैसे दे रहे हैं।
दुमका के रामगढ़ ब्लाक में मजदिहा मिडिल स्कूल के अध्यापक हेमंत कुमार शनिवार सुबह 7 बजे एक ठेले पर मिड डे मील का सूखा राशन ले गांव की तरफ निकले। उन्होंने घर घर जाकर स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को राशन दिया साथ मैं कुछ पैसे भी दिए। उन्होंने अब तक स्कूल के 184 बच्चों को राशन बांटा।
झारखंड सरकार ने मिडडे मील घर पहुंचाने का दिया आदेश
साह ने बच्चे भूखे ना रहें, इसलिए यह पहल ऐसे वक्त में की, जब लॉकडाउन के चलते अधिकांश गांव के किसान, गांव वाले, मजदूर बुरे वक्त का सामना कर रहे हैं। झारखंड के मानव संसाधन विभाग ने हाल ही में एक आदेश जारी कर स्कूलों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि लॉकडाउन में स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को मिडडे मील का लाभ मिलता रहे। इसी के तहत निर्धारित मात्रा में चावल छात्रों के घर घर जाकर बांटे जा रहे हैं।
स्कूल नहीं मान रहे आदेश
वहीं, झारखंड में ज्यादातर ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां स्कूलों ने इन आदेशों को ना मानते हुए छात्रों को परिसर में ही बुलाकर राशन बांटा। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान नहीं रखा गया। कई शिक्षकों ने सरकार के इस आदेश पर सवाल भी उठाए। उनका कहना है कि लॉकडाउन में गांव गांव जाकर राशन बांटना मुश्किल भरा काम है। लेकिन इन सब बातों पर ध्यान ना देते हुए साह पिछले 4 दिन से रोज राशन बांट रहे हैं, वहीं, वे अंडों और कुकिंग कोस्ट के बदले भी बच्चों को पैसे दे रहे हैं। इस दौरान उनके साथ शिक्षक भी उनकी काम में मदद कर रहे हैं।