सार

शैव मठ थिरुवदुथुराई अधीनम (Thiruvavaduthurai Adheenam) ने बयान जारी कर कहा है कि सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है। उनके पास इसके सबूत है। इसे झूठा बताए जाने से मठ को दुख पहुंचा है।

नई दिल्ली। सेंगोल (Sengol) को लेकर कांग्रेस द्वारा झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। पार्टी द्वारा इसके ऐतिहासिक महत्व को खारिज किया जा रहा है। सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपे जाने का प्रतीक है। लॉर्ड माउंटबेटेन की उपस्थिति में शैव मठ थिरुवदुथुराई अधीनम के स्वामी ने सेंगोल को जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था।

कांग्रेस द्वारा सेंगोल के भारत की आजादी से जुड़े ऐतिहासिक महत्व को झूठ बताया गया है। इन आरोपों को शैव मठ थिरुवदुथुराई अधीनम ने आधिकारिक बयान जारी कर खारिज किया है। मठ ने कहा कि हमने सेंगोल को लेकर कुछ राजनीतिक पार्टियों द्वारा की जा रही बातों को सुना है। इससे हमें बहुत दुख हुआ है।

मठ ने कहा- हमारे रिकॉर्ड में है सेंगोल की बात

मठ ने अपने बयान में कहा कि एक राजनीतिक पार्टी ने कहा है कि 1947 में सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में सेंगोल का इस्तेमाल और इससे जुड़ा कार्यक्रम झूठ है। कई स्रोतों ने इस घटना का अच्छी तरह दस्तावेजीकरण किया था। हमारे अपने रिकॉर्ड में भी इसकी जानकारी है। हमारे रिकॉर्ड में है कि सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में धार्मिक संस्कार के लिए हमें आमंत्रित किया गया था।

मठ ने कहा कि हमारे अधीनम ने राजाजी के निमंत्रण का सम्मान किया। हमने एक सेंगोल बनवाया। इसे लॉर्ड माउंटबेटन को दिया, उनसे वापस लिया और एक विस्तृत अनुष्ठान में पंडित जवाहरलाल नेहरू को भेंट किया। इसे नेहरू को भेंट करने वाले स्वामी ने स्पष्ट किया था कि यह सेंगोल खुद शासन करने का प्रतीक है। यह कहना कि समारोह फर्जी और झूठा था, हमारी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगाना है। इसके साथ सेंगोल के इस्तेमाल के महत्व को कम करने की कोशिश है। यह बहुत दुखद है।

नए संसद भवन में रखा जाएगा सेंगोल

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास रखा जाएगा। अनुष्ठान के लिए थिरुवदुथुराई अधीनम के पुजारी को बुलाया गया है।