SIR Extension News: चुनाव आयोग ने 6 राज्यों के लिए SIR की तारीख बढ़ा दी है, लेकिन वेस्ट बंगाल को कोई एक्सटेंशन नहीं मिला। 6 राज्यों में यूपी, एमपी, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, गुजरात और अंडमान-निकोबार शामिल हैं। वोटर लिस्ट सुधार का समय बढ़ाया गया है। 

SIR Date Extended: स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) को लेकर मचे राजनीतिक बवाल के बीच आज गुरुवार को चुनाव आयोग (EC) ने आज बड़ा अपडेट जारी किया है। वोटर लिस्ट की सफाई और अपडेट के लिए चल रहे इस अभियान की डेडलाइन पांच राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में बढ़ा दी है। हालांकि, वेस्ट बंगाल को इस बार कोई एक्सटेंशन नहीं दिया गया है। आयोग के अनुसार, जिन राज्यों में SIR की अवधि बढ़ाई गई है, उनमें उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार शामिल हैं। वोटर लिस्ट से गलतियों को हटाने, नई एंट्री जोड़ने और डुप्लीकेट नाम हटाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

SIR की नई डेडलाइन और ड्राफ्ट रोल की तारीखें

एन्यूमरेशन यानी वोटर जोड़ने या सुधारने) की नई डेडलाइन तमिलनाडु और गुजरात में 14 दिसंबर, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान और निकोबार में 18 दिसंबर और उत्तर प्रदेश में 26 दिसंबर है। ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल पब्लिश होने की डेट्स तमिलनाडु और गुजरात में 19 दिसंबर, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान और निकोबार में 23 दिसंबर और उत्तर-प्रदेश में 31 दिसंबर है।

SIR की डेडलाइन किन राज्यों में नहीं बढ़ी?

गोवा, गुजरात, लक्षद्वीप, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में एन्यूमरेशन की अवधि समाप्त हो गई है और यहां कोई एक्सटेंशन नहीं दिया गया। इन राज्यों के ड्राफ्ट रोल 16 दिसंबर को पब्लिश किए जाएंगे। अब तक 50.8 करोड़ फॉर्म डिजिटाइज किए जा चुके हैं। करीब 23.22 लाख फॉर्म अभी भी पेंडिंग हैं। SIR के दूसरे चरण में 4 नवंबर से कुल 50.96 करोड़ फॉर्म बांटे जा चुके हैं।

SIR को लेकर राजनीतिक बवाल

बिहार के बाद अगला बड़ा चुनावी मुकाबला पश्चिम बंगाल में होना है, जहां चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने हैं। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर 'अव्यवहारिक' डेडलाइन लागू करने का आरोप लगाया है, जिससे बूथ-लेवल अधिकारियों (BLOs) पर बोझ बढ़ गया और मतदाताओं को परेशानी हुई। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, CPI(M) और समाजवादी पार्टी ने ऑल-पार्टी मीटिंग में कहा कि आयोग ने ग्राउंड रियलिटी की अनदेखी की और जल्दी में वोटर लिस्ट सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि 2003 की व्यापक रिविजन प्रक्रिया अपनाई जाए और संसद में SIR पर चर्चा को टालना सरकार की असहमति दिखाता है।