सार
कोर्ट पूछा कि हमारे सामने कई हत्या के मामले हैं जहां दोषी वर्षों से छूट के लिए जेलों में सड़ रहे हैं। क्या यह ऐसा मामला है जहां मानकों को समान रूप से अन्य मामलों में भी लागू किया गया है?
Bilkis Bano rape convicts release: बिलकिस बानो रेप केस के 11 दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि क्या बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई ऐसे अन्य मामलों में छूट के मानकों के अनुसार की गई। कोर्ट ने केंद्र से सुनवाई की अगली तारीख पर सभी संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा। कोर्ट पूछा कि हमारे सामने कई हत्या के मामले हैं जहां दोषी वर्षों से छूट के लिए जेलों में सड़ रहे हैं। क्या यह ऐसा मामला है जहां मानकों को समान रूप से अन्य मामलों में भी लागू किया गया है? इस केस की सुनवाई दो जजों की बेंच कर रही है जिसमें जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल हैं।
बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कर रहा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर बिलकिस बानो के 11 बलात्कारियों की रिहाई के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली और अन्य शामिल हैं। बिलकिस बानो ने दो याचिकाएं दायर की थीं। उनमें से एक शीर्ष अदालत से उसके मई 2022 के आदेश की समीक्षा करने के लिए कहती है जिसमें गुजरात सरकार को एक दोषी की रिहाई याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
कौन हैं बिलकिस बानो?
बिलकिस बानो गुजरात की रहने वाली हैं। 2002 के दंगों के बाद वो अपना राज्य छोड़कर कहीं और जाना चाहती थीं। उनके साथ उनकी 3 साल की बच्ची और परिवार के 15 अन्य सदस्य भी थे। तब गुजरात में हिंसा भड़की हुई थी। 3 मार्च, 2002 को दंगे के बाद 5 महीने की प्रेग्नेंट बिलकिस बानो अपनी फैमिली के साथ एक सुरक्षित जगह की तलाश में छिपी थीं। इसी दौरान हथियारों से लैस भीड़ ने उनके परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले के बाद बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया और उनके परिवार के 7 लोग मारे गए। दंगे में उनकी 3 साल की बेटी को भी मार दिया गया।
बिलकिस गैंगरेप केस में ये आरोपी हुए रिहा
बिलकिस बानो गैंगरेप केस में राधेश्याम शाही, केशुभाई वदानिया, बकाभाई वदानिया, राजीवभाई सोनी, जसवंत चतुरभाई नाई, रमेशभाई चौहान, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, मितेश भट्ट, गोविंदभाई नाई और प्रदीप मोढिया के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। सभी आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। बाद में 21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 11 आरोपियों को दोषी पाया था और इन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था।
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