सार

सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज केस रद्द कर सद्गुरु को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि दोनों युवतियां अपनी मर्ज़ी से आश्रम में रह रही हैं।

Sadhguru big relief: सुप्रीम कोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु को बड़ी राहत दी है। मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज केस को रद्द कर दिया गया है। ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जारी सभी कार्यवाहियों को रद्द कर दिया गया है। एक पिता ने दावा किया था कि उनकी दो बेटियों को कोयम्बटूर में सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन आश्रम में ब्रेनवॉश कर बंधक बनाया गया है। परिवार से उनको नहीं मिलने दिया जा रहा है। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में सारे दावों को अमान्य कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों लड़कियां गीता और लता व्यस्क हैं। अपनी स्वेच्छा से वे दोनों आश्रम में रह रही हैं। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि यह आदेश केवल इसी मामले के लिए है, क्योंकि पहले यह स्वीकार किया गया था कि आश्रम के एक डॉक्टर पर हाल ही में बाल शोषण का आरोप लगाया गया था।

क्या है पूरा मामला?

कोयम्बटूर के ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु आश्रम पर रिटायर्ड प्रोफेसर एस.कामराज ने अपनी बेटियों को जबरिया बंधक बनाए जाने का आरोप लगाया था। प्रो.कामराज ने आरोप लगाया कि आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु उनकी दो बेटियों को बहका कर शादी करने से रोक रहे और उन्हें संन्यास का मार्ग चुनने के लिए प्रेरित किया। उनकी बेटियों गीता और लता को कोयंबटूर में ईशा योग केंद्र में रहने के लिए ब्रेनवॉश किया गया था। फाउंडेशन ने उन्हें अपने परिवार से संपर्क बनाए रखने की अनुमति नहीं दी।

रिटायर्ड प्रोफेसर ने अपनी बेटियों को ईशा फाउंडेशन में बंधक बनाए जाने का आरोप लगाते हुए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद कोयम्बटूर में ईशा फाउंडेशन के कैंपस में सैकड़ों पुलिसवाले एंट्री किए और जांच शुरू कर दी। हाईकोर्ट के आदेश को ईशा फाउंडेशन की ओर से सद्गुरु ने चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाइार् के बाद 18 अक्टूबर को उनके खिलाफ याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।

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