सार

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में देशभर के हाईकोर्ट में लगाई गईं समलैंगिक विवाह को मान्यता देने संबंधी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर दिया है।

नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। देशभर के हाईकोर्ट में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने संबंधी बहुत सी याचिकाएं लंबित हैं। इन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए याचिका लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर कर लिया। इस मामले में अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी।

मंगलवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के सामने याचिकाओं को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने की गुहार लगाई गई थी। इस पर बेंच ने कहा था कि हम 6 जनवरी को सुनवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2022 को केंद्र से दो याचिकाओं पर जवाब मांगा था। याचिकाओं में दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग की गई थी ताकि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के निर्देश दिए जा सकें।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था सहमति से बने समलैंगिक संबंध अपराध नहीं
25 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने दो समलैंगिक जोड़ों द्वारा शादी के अपने अधिकार को लागू करने और विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी को पंजीकृत करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी। उस वक्त कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने 6 सितंबर 2018 को ब्रिटिश युग के कानून के एक हिस्से को खत्म कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वयस्क समलैंगिकों या विषमलैंगिकों के बीच निजी स्थान पर सहमति से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं है।

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क्या है समलैंगिकता?
समलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक (sexually and romantically attracted) रूप से आकर्षित होना है। पुरुष अगर पुरुष के प्रति आकर्षित होते हैं, तो उन्हें पुरुष समलिंगी या गे (homosexual or gay) कहते हैं। वहीं, महिला किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित होती है तो उसे महिला समलिंगी या लेस्बियन कहा जाता है। जो लोग महिला और पुरुष दोनों के प्रति आकर्षित होते हैं उन्हें उभयलिंगी (bisexuals) कहा जाता है। इन सबको यानी समलैंगिक, उभयलैंगिक और लिंगपरिवर्तित लोगो को मिलाकर एलजीबीटी (LGBT) समुदाय बनता है।

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उल्लेखनीय है कि दुनिया में 32 देशों में सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिली हुई है। हालांकि समलैंगिकों के अधिकार को लेकर दुनियाभर में तीन तरह के कानून हैं। जैसे कुछ देशों में समलैंगिक शादी मान्य है। कुछ देशों में समलैंगिक रिलेशनशिप मान्य है, लेकिन मैरिज की परमिशन नहीं है। जबकि कई देशों में ये दोनों बातें गैरकानूनी हैं। 120 देशों में समलैंगिकता क्राइम है, जबकि 32 देशों में सेम सेक्स मैरिज मान्य है। 88 देशों में समलैंगिक संबंधों को इजाजत है, लेकिन मैरिज को नहीं। इसमें भारत भी शामिल है। नीदरलैंड में 2001 में सबसे पहले सेम सेक्स मैरिज को अनुमति दी गई थी। यमन, ईरान आदि 13 देशों में समलैंगिक संबंधों को लेकर सख्ती है। यहां ऐसा करते पाए जाने पर मौत की सजा दी जाती है।