सार

सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को 2002 के गोधरा ट्रेन कोच जलाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी फारुक को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि वह 17 साल से जेल में है। लेकिन कई दोषियों की जमानत याचिका लंबित है।

Godhara massacre 2002: सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कुछ आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए गुजरात सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। 2002 में गोधरा ट्रेन कोच को जलाया गया था। इस कोच में काफी लोग जिंदा जलकर मर गए थे। कोर्ट ने इसके आरोपियों में कईयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ इस जमानत मामले की सुनवाई कर रही है। सीजेआई के साथ बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला शामिल हैं।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने किया विरोध

जमानत याचिका पर सुनवाई का विरोध राज्य सरकार के अधिवक्ता ने किया। गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि यह केवल पथराव का मामला नहीं बल्कि साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में लोगों को बंद कर उनके जिंदा जलाने का केस है। इस केस में कई लोगों की जान चली गई थी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि वे लोग केवल पथराव किए थे। लेकिन सच यह है कि आप किसी बोगी को लॉक कर देते हैं। उसके अंदर लोगों भरे हैं और आप बाहर से आग लगाकर फिर पथराव करते हैं तो यह मामला केवल पथराव का कैसे हो सकता है। इस पर बेंच ने कहा कि राज्य सरकार इसकी जांच करें और एक रिपोर्ट दे तबतक जमानत याचिका की सुनवाई को दो सप्ताह बाद के लिए लिस्टिंग कर दी जा रही है।

उधर, दोषियों की ओर से कोर्ट में पेश सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने कहा कि राज्य सरकार ने कुछ दोषियों के मामले में अपील दायर की है जिनकी मौत की सजा को गुजरात हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद एपेक्स कोर्ट ने अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ कंकत्तो, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला व अन्य की जमानत याचिकाओं पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

Supreme Court में जमानत के लिए याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को 2002 के गोधरा ट्रेन कोच जलाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी फारुक को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि वह 17 साल से जेल में है। लेकिन कई दोषियों की जमानत याचिका लंबित है। कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है। फारुक समेत कई अन्य को साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था। इस याचिका पर सॉलिसिटर जनरल ने विरोध करते हुए अपराध को जघन्य बताया था। उन्होंने कहा कि कि अपराधियों ने महिलाओं और बच्चों समेत 59 लोगों को जिंदा जला दिया था। बता दें कि इन लोगों की जमानत अपील को हाईकोर्ट ने बीते 9 अक्टूबर 2017 को खारिज कर दी थी। आवेदकों ने इस आधार पर जमानत मांगी है कि वह 2004 से हिरासत में है और लगभग 17 साल तक कारावास में हैं।

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