सार
कोर्ट ने कहा कि दोषियों को सजा में छूट एवं रिहाई केवल बिलकिस बानो केस के दोषियों को क्यों दी गई, अन्य कैदियों को क्यों नहीं तब मिलनी चाहिए।
Supreme Court on Bilkis Bano Case: गुजरात सरकार को बिलकिस बानो गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने कड़े सवाल किए हैं। कोर्ट ने गुजरात में 2002 दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और परिवार की हत्या के दोषियों को समय पूर्व रिहा करने पर आपत्ति जताते हुए एडवाइजरी कमेटी का ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों को सजा में छूट एवं रिहाई केवल बिलकिस बानो केस के दोषियों को क्यों दी गई, अन्य कैदियों को क्यों नहीं तब मिलनी चाहिए। दरअसल, सरकार की ओर से पेश हुए असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि कानून कहता है कि हर किसी को सुधार का मौका मिलना चाहिए। अगली सुनवाई 24 अगस्त को दोपहर 2 बजे से जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुईयां की बेंच में होगी।
क्या तर्क दिया सरकार ने?
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सहायक सॉलिसीटर जनरल राजू ने कहा कि कानून यह नहीं है कि हर किसी को हमेशा के लिए सजा दी जाए। कैदियों को सुधार का मौका मिलना चाहिए। इस पर जस्टिस बीवी नागरत्ना ने पूछा कि रिहाई में छूट का फायदा सिर्फ बिलकिस के दोषियों को ही क्यों दिया गया बाकी कैदियों को ऐसी छूट क्यों नहीं मिली? कोर्ट ने पूछा कि दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। ऐसी स्थिति में उन्हें 14 साल की सजा के बाद कैसे रिहा किया जा सकता है? अन्य कैदियों को रिहाई की राहत क्यों नहीं दी गई? इसमें इन दोषियों को चुनिंदा तरीके से नीति का लाभ क्यों दिया गया?
हमें डेटा उपलब्ध कराएं?
जस्टिस नागरत्ना और भुईयां की बेंच ने पूछा कि कठोर अपराधियों को 14 साल के बाद रिहा कर उन्हें सुधरने का मौका देने वाला यह नियम कहां तक अन्य कैदियों पर लागू किया जा रहा है? इस नीति को चुनिंदा तरीके से क्यों लागू किया जा रहा है? सुधार और पुन: एकीकृत होने का अवसर सभी को दिया जाना चाहिए। कैसे क्या इसे अब तक लागू किया जा रहा है? हमारी जेलें क्यों भर रही हैं? हमें डेटा दें।
कोर्ट ने सवाल किया कि जब गोधरा की कोर्ट ने ट्रायल नहीं किया तो उससे राय क्यों मांगी गई? अदालत ने यह भी सवाल किया कि बिलकिस दोषियों के लिए जेल एडवाइजरी समिति का गठन किस आधार पर किया गया जिससे राज्य को विवरण प्रदान करने का आदेश दिया गया। इसमें यह भी पूछा गया कि जब मुकदमा वहां नहीं चलाया गया तो गोधरा अदालत की राय क्यों मांगी गई। नाराज बेंच ने इस मामले में एडवाइजरी कमेटी का डिटेल मांगा है। 24 अगस्त को कोर्ट इस पर फिर सुनवाई करेगा।
2002 का गोधरा कांड
गुजरात के गोधरा में 2002 में ट्रेन जलाने की घटना के बाद सांप्रदायिक हिंसा में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। इस दौरान बिलकिस बानो के घर के सात सदस्यों की हत्या हिंसा में कर दी गई थी, इसमें उनकी तीन साल की बेटी भी थी। बिलकिस की तब उम्र 21 साल थी। इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया गया था। लेकिन बीते साल 15 अगस्त को सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया था। जेल से रिहा करने के बाद बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी।