SC Teachers Recruitment Scam Case पर ममता बनर्जी के बयान के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकारते हुए कहा कि राजनीतिक लड़ाई कोर्ट में नहीं लड़ी जा सकती। जानिए क्या है पूरा मामला। 

SC on Mamata Banerjee Contempt Case: शिक्षक भर्ती घोटाले (Teachers Recruitment Scam) के खिलाफ कोर्ट के फैसले पर राजनीतिक बयानबाजी को कोर्ट में घसीटे जाने से सुप्रीम कोर्ट खफा है। फैसले के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सीजेआई की बेंच ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के बयान के खिलाफ याचिका दायर करने वाले को निशाने पर लिया। चीफ जस्टिस बीआर गवई (CJI BR Gavai) और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने याचिकाकर्ता को सख्त शब्दों में फटकार लगाई। कोर्ट ने साफ कहा कि आप अपनी राजनीतिक लड़ाई इस कोर्ट में नहीं लड़ सकते। कृपया इसे बाहर ही रखें।

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ममता बनर्जी के खिलाफ याचिका में क्या है आरोप?

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका आत्मदीप (Aatmdeep) नाम की एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले बयान दिए, जिसमें 2016 की शिक्षक भर्ती में हुई अनियमितताओं को रद्द कर दिया गया था।

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ममता बनर्जी के बयान पर याचिका में क्या कहा गया?

याचिकाकर्ता के वकील सीनियर एडवोकेट मनींदर सिंह (Maninder Singh) ने कोर्ट से अनुरोध किया कि सुनवाई को टाल दिया जाए क्योंकि अटॉर्नी जनरल से इस मामले में आपराधिक अवमानना की अनुमति मांगी गई है। इस पर CJI गवई ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या आपको यकीन है कि आपको अनुमति मिल जाएगी? कोर्ट को राजनीतिक अखाड़ा न बनाएं।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद के लिए टाल दी है। इस बीच, यह देखना होगा कि क्या अटॉर्नी जनरल की ओर से अवमानना की अनुमति दी जाती है या नहीं।

बंगाल शिक्षकों के मामले में SC ने क्या फैसला दिया था?

इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें 2016 की शिक्षक भर्ती में की गई करीब 25,000 नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। कोर्ट ने माना था कि पूरा चयन प्रोसेस भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े से भरा था और इसे बचाया नहीं जा सकता। इस मामले में फैसला आने के बाद पश्चिम बंगाल में हजारों शिक्षकों का भविष्य संकट में आ गया। इस फैसले के खिलाफ ममता सरकार ने अपील करने का ऐलान करते हुए शिक्षकों के हितों से खिलवाड़ नहीं होने देने की बात कही गई।