सार

सुप्रीम कोर्ट 75वीं वर्षगांठ पर लोक अदालत की शुरूआत की है। सात दिनों तक यानी 2 अगस्त तक सभी 7 बेंच दोपहर 2 से 5 बजे तक सुनवाई करेंगी। लोक अदालत में छोटे-छोटे मामलों का निस्तारण कराया जाएगा।

Supreme Court Lok Adalat: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बार और बेंच एक साथ मिलकर बैठा और मामलों को सुनकर उनको सुलझाया। सात बेंच अपने-अपने कोर्टरूम में देर शाम 5 बजे तक मामलों को सुनते और सुलझाते रहे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और कपिल सिब्बल एक साथ बेंच शेयर किया। उनके साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्र, सीनियर एडवोकेट विपिन नायर भी बेंच का हिस्सा थे। दरअसल, यह अनोखी पहल सुप्रीम कोर्ट की है। उसने अपनी 75वीं वर्षगांठ पर लोक अदालत की शुरूआत की है। सात दिनों तक यानी 2 अगस्त तक सभी 7 बेंच दोपहर 2 से 5 बजे तक सुनवाई करेंगी। लोक अदालत में छोटे-छोटे मामलों का निस्तारण कराया जाएगा।

पहले दिन सीजेआई ने तलाक की अर्जी देने वालों को मिलवाया

लोकसभा की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने तमाम मामलों को सुलझाया, इसमें एक तलाक का मामला भी था। पति-पत्नी तलाक लेने के बाद बच्चों की कस्टडी चाहते थे। सीजेआई की बेंच जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर ने मामले को सुना। सीजेआई ने पति-पत्नी को समझाया। सीजेआई ने बताया कि मुझे एक मामला याद है जिसमें पति ने पटियाला हाउस कोर्ट में तलाक की कार्यवाही दायर की थी। पत्नी ने भरण-पोषण की कार्यवाही दायर की थी और बच्चों की कस्टडी के लिए आवेदन किया था। जब वे दोनों लोक अदालत अदालत के सामने आए तो खुशी-खुशी साथ रहने का फैसला किया है। पत्नी ने कहा कि मुझे भरण-पोषण नहीं चाहिए क्योंकि हम बहुत खुशी से साथ रह रहे हैं।

क्या है लोक अदालत का उद्देश्य?

सीजेआई ने कहा कि लोक अदालत का उद्देश्य छोटे-छोटे मामलों का निपटारा करना है। लोगों को यह एहसास नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट में कितने छोटे-छोटे मामले आते हैं। हम सेवा, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण और मोटर दुर्घटना दावा जैसे मामलों को लोक अदालत में सुनवाई के लिए चुनते हैं। जजों के साथ लोक अदालत पैनल के हिस्से के रूप में बार सदस्यों की उपस्थिति ने पूरे समाज को सही संदेश दिया है कि हम न्याय करने के अपने प्रयासों में एकजुट हैं। उम्मीद है कि भविष्य में सुप्रीम कोर्ट में लोक अदालत संस्थागत हो जाएगी।

मैं पहली बार बार नहीं बेंच की तरफ था: सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा कि पहली बार, मैं बार की तरफ नहीं बल्कि बेंच की तरफ था। यह सौभाग्य की बात है कि उन्हें इस तरह के न्यायाधीशों के साथ बेंच साझा करने का मौका मिला। जब सुप्रीम कोर्ट ने लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की तो महाराष्ट्र मामले में बहस शुरू करने वाले वे पहले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि लोक अदालत स्थापित करने का कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम है।

किस कोर्ट रूम में कौन-कौन था?

कोर्ट रूम नंबर दो में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस के वी विश्वनाथन के साथ एससीबीए की उपाध्यक्ष रचना श्रीवास्तव और एससीओआरए के उपाध्यक्ष अमित शर्मा मौजूद थे।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एमएम सुंदरेश के साथ कोर्ट रूम 3 में एससीबीए के महासचिव विक्रांत यादव और एससीओआरए के सचिव निखिल जैन ने सुनवाई की। कोर्ट रूम 4 में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता वीवी गिरी बैठे तो कोर्ट रूम 5 में जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस पीएस नरसिम्हा के साथ एडवोकेट के परमेश्वर लोक अदालत की कार्यवाही के लिए बेंच को साझा किया।

कोर्ट रूम 6 में जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस दीपांकर दत्ता के साथ सीनियर एडवोकेट हुजैफा अहमदी, सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया और एडवोकेट शादान फरासत बेंच पर बैठे। कोर्ट रूम 7 में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले के साथ सीनियर एडवोकेट माधवी दीवान और एडवोकेट बालाजी श्रीनिवासन भी बेंच का हिस्सा थे।

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