सार
उत्तराखंड के उत्तराकाशी में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित द्रौपदी का डंडा-II चोटी पर 41 पर्वतारोही हिमस्खलन की चपेट में आ गए। इनमें से 10 की मौत हो गई। इस हादसे में अपने कई साथियों की जान बचाने वाले रोहित भट्ट ने हिमस्खलन की रूह कंपा देने वाली आपबीती सुनाई।
Uttarkashi Avalanche: उत्तराखंड के उत्तराकाशी में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित द्रौपदी का डंडा-II चोटी पर 41 पर्वतारोही हिमस्खलन की चपेट में आ गए। इनमें से 10 की मौत हो गई। सभी पर्वतारोही नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के थे, जो द्रौपदी का डंडा-II पहाड़ पर चढ़ने की ट्रेनिंग ले रहे थे। इस हादसे में बचे रोहित भट्ट ने अपने कई साथियों की जान बचाई। उत्तरकाशी के जिला अस्पताल से स्वस्थ होकर लौटे रोहित भट्ट ने एशियानेट न्यूज से फोन पर बात की और 40 अन्य लोगों के साथ हिमस्ख्लन की चपेट में आने की आपबीती सुनाई। उत्तराखंड के रहने वाले रोहित भट्ट नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग में एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स कर रहे ट्रेनीज में से एक हैं। रोहित के मुताबिक, अगर हमें 10 सेकंड का समय भी और मिलता तो हम कई और लोगों की जान बचा सकते थे।
चोटी से बस 150 मीटर पहले हुआ हादसा :
रोहित भट्ट के मुताबिक, हमने मंगलवार सुबह साढ़े 3 बजे 5670 मीटर ऊंची चोटी पर चढ़ाई की शुरुआत की। हमारे टीम में 34 ट्रेनी और 7 इंस्ट्रक्टर थे। जब हम लोग हिमस्खलन की चपेट में आए, उस वक्त सुबह के साढ़े 8 बजे का वक्त रहा होगा। हम 5,500 मीटर तक पहुंच गए थे। यह दूरी हमारे डेस्टिनेशन से महज 100-150 मीटर दूर रह गई थी। हिमस्खलन इतना भयानक था कि हमें सोचने तक का समय नहीं मिला। कुछ ही मिनटों में बर्फ के चलते सब कुछ सफेद हो गया। हमारे कई साथी ट्रेनी और इंस्ट्रक्टर मलबे में फंस गए।
पर्वतारोहियों को संभलने तक का मौका नहीं मिला :
पर्वतारोहियों को रिएक्ट करने के लिए दो सेकेंड का भी समय नहीं मिला। दो ट्रेनी और कुछ इंस्ट्रक्टर थोड़ी ऊंची जमीन पर थे, जबकि बाकी पर्वतारोही और अन्य ट्रेनी उन्हें फॉलो कर रहे थे। इसी बीच अचानक आया हिमस्खलन पर्वतारोहियों पर कहर बनकर टूटा और सभी करीब 60 फीट गहरी खाई में जा गिरे। मैं भी इसमें फंस गया था, लेकिन मुझे मेरी आइस एक्स (बर्फ की कुल्हाड़ी) ने बचा लिया।
उसी दिन हमने 7 लोगों के शव बरामद किए :
रोहित ने उस डरावने वाकये को याद करते हुए कहा- उसी दिन हमारे इंस्टिट्यूट के अनिल सर, नेगी सर, एसआई सर, पर्वतारोही सविता कंसवाल, इंस्ट्रक्टर नौमी रावत के अलावा और दो ट्रेनियों के शव बरामद हुए। मैंने हिमस्खलन वाली जगह से तीन ट्रेनी पर्वतारोहियों और स्कीइंग डिपार्टमेंट के एक शख्स की जान बचाई।
ITBP के जवानों ने हमें बेस कैम्प पहुंचाया :
रोहित भट्ट ने घायल पर्वतारोहियों को बचाने में हर संभव मदद देने के लिए नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा- हमें बचाने के लिए हमारे संगठन की ओर से तमाम जरूरी इंतजाम किए गए थे। कई कुलियों ने भी हमारी मदद की। अगली सुबह ITBP के जवानों ने हमें अपने आधार शिविर में पहुंचाया और फिर हमें उत्तरकाशी के जिला अस्पताल ले जाया गया।
काश! हमारे पास चंद सेकंड और होते..
रोहित के मुताबिक, हिमस्खलन मंगलवार सुबह करीब 8:45 पर हुआ। उस वक्त हम लोग चोटी पर पहुंचने से सिर्फ 150 मीटर दूर थे। रोहित ने ईश्वर का धन्यवाद करते हुए कहा- हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था, क्योंकि जो सामग्री हम ले गए थे वो बह गई थी। अगर हमारे पास सोचने के लिए कुछ सेकंड और होते, तो हम कई और लोगों की जान बचा सकते थे। उस वक्त मौसम साफ था और जो कुछ भी हुआ, वो सब अचानक था।
अब भी चल रही लोगों की तलाश :
आधार शिविर में 16 ट्रेनियों में शामिल चंद्रशेखर पटेल ने बताया- हम अब अपने इंस्टिट्यूट की ओर जा रहे हैं। बेस कैम्प में हम लोग पूरी तरह सुरक्षित थे। बता दें कि SDRF, ITBP और एयरफोर्स लापता पर्वतारोहियों का पता लगाने के लिए एक संयुक्त अभियान चला रही है। टीम ने खराब मौसम के कारण शाम करीब चार बजे अभियान बंद कर दिया था। इस बीच भारतीय सेना ने कुशल पर्वतारोहियों की टीमें भेजी है। भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन के लिए सरसावा से दो और बरेली से एक हेलीकॉप्टर तैनात किया है।
41 में से 16 लोग अब भी लापता :
उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक, उन्होंने 10 शव बरामद किए हैं और अन्य लापता पर्वतारोहियों का पता लगाने के लिए खोज और बचाव अभियान जारी है। 41 में से 16 लोग अब भी लापता हैं। राज्य प्रशासन ने 16 अन्य पर्वतारोहियों को भी सूचीबद्ध किया है जो आधार शिविर में सुरक्षित थे। ये पर्वतारोही अन्य लोगों के साथ शिखर की ओर नहीं बढ़ सके क्योंकि वे हाई ब्ल्ड प्रेशन की समस्या से जूझ रहे थे।
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