सार

तेलंगाना विधानसभा चुनावों के नतीजे यह संकेत दे रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस पार्टी सरकार बनाने के बेहद करीब है। जबकि सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र पार्टी हार रही है। यह नतीजा अप्रत्याशित कहा जा सकता है।

 

Telangana Assembly Election 2023. तेलंगाना विधानसभा चुनावों के रिजल्ट से यह साफ हो चला है कि इस बार राज्य में पिंक सुनामी ठहर गई है और बहुत दिनों के बाद कांग्रेस पार्टी की वापसी हो रही है। बाकी हिंदी बेल्ट के तीन राज्यों में भगवा दल ने निर्णायक बढ़त बना ली है। जबकि तेलंगाना में भी बीजेपी करीब 10-12 सीटें जीत सकती है। राजनैतिक पंडितों के लिए भी यह चुनौती जैसा है कि तेलंगाना राज्य में केसीआर की हार और कांग्रेस की वापसी के कारण बता सकें। हम आपको कुछ मेन फैक्टर्स बता रहे हैं जो के. चंद्रशेखर राव की हार का कारण बनते दिख रहे हैं।

नेशनल पार्टी बनने के लिक केसीआर का क्रेज कम हुआ

तेलंगाना राज्य की सत्ता पर बीआरएस पार्टी 9 सालों से शासन कर रही है। लेकिन अब वह हारने जा रही है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि के चंद्रशेखर राव ने करीब 1 साल पहले राज्य की राजनीति से ज्यादा केंद्र की राजनीति में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी। उन्होंने पार्टी का नाम भी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) कर दिया। केसीआर ने राज्य में प्रेस कांफ्रेंस करके सीधे पीएम मोदी पर निशाना साधा और राष्ट्रीय राजनीति में आने की अपनी महत्वाकांक्षा सामने रखी। इतना ही नहीं केसीआर ने नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल जैसे विपक्षी दलों को साधने की भी कोशिश की। केसीआर के इस कदम का जनता पर उल्टा असर देखने को मिला।

तेलंगाना में बीआरएस की हार के 10 प्रमुख कारण

  1. पार्टी का नाम टीआरएस से बीआरएस करना
  2. राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों पर रोक न लगना
  3. राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक होना
  4. बीआरएस के नेताओं की मनमानी वाली खबरें
  5. बीआरएस लीडर पर शराब घोटाले का आरोप
  6. सरकारी अधिकारियों को महंगी गाड़ियां गिफ्ट देना
  7. राज्य की राजनीति से ज्यादा केंद्र की राजनीति में रूचि
  8. कांग्रेस नेताओं पर अनावश्यक मुकदमे दर्ज करना
  9. राज्य की दूसरी पार्टियों के नेताओं पर केस
  10. पीएम मोदी का सीधा विरोध, कई मुद्दों पर विरोध

भ्रष्टाचार की वजह से जनता परेशान

राज्य की सत्ता पर लगातार बने रहने की वजह से भ्रष्टाचार के मामले सामने आए। राज्य में ट्रांसफर पोस्टिंग में भी लेन-देन की खबरें सामने आईं। राज्य कर्मचारियों की सैलरी समय पर नहीं मिल रही। वहीं करीब 1 साल पहले पार्टी ने जिलों में तैनाती रेवेन्यू ऑफिसर्स को 35-35 लाख की महंगी एसयूवी राज्य सरकार ने गिफ्ट की थी। यह मामला भी काफी सुर्खियों में रहा था और जनता को यह अहसास होने लगा कि सरकारी अधिकारी और सरकार मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान भी राज्य सरकार ने बड़े कदम नहीं उठाए। इन सब वजहों से केसीआर का कद लगातार कम होता गया और अंत में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

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