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अतिक्रमण हटाने के दौरान बुलडोजर ने गिरा दी जलती झोपड़ी, जिंदा जली मां-बेटी, पति और SHO बचाने की कोशिश में झुलसे
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कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के एक गांव में अतिक्रमण विरोधी अभियान(anti-encroachment drive) के दौरान एक 45 वर्षीय महिला और उसकी 20 वर्षीय बेटी की कथित तौर पर आग लगने से मौत से बवाल हो गया है। ग्राम समाज की जमीन से कब्जा हटाने पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम के सामने ही प्रमिला दीक्षित (45) और उनकी बेटी नेहा (20) जिंदा जल गए। उन्हें बचाने की कोशिश में प्रमिला का पति भी झुलस गया। इस मामले के बाद गांव में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात किया गया है। हालांकि पुलिस अधिकारियों को कहना है कि पुलिस, जिला प्रशासन और राजस्व अधिकारियों की उपस्थिति में मां-बेटी ने खुद को आग लगा ली। इससे पहले कि उन्हें बचाया जा सकता, वे जलकर मर गए। मामला कानपुर जिले के रूरा क्षेत्र के मडौली गांव का है।
पुलिस के अनुसार रूरा स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) दिनेश गौतम और प्रमिला के पति गेंदन लाल पीड़ितों को बचाने की कोशिश में झुलस गए। इसके बाद लोग भड़क गए और पीड़ित परिवार के सदस्यों ने लेखपाल (राजस्व अधिकारी) अशोक सिंह की कथित तौर पर पिटाई की, जिसके बाद अतिक्रमण विरोधी टीम के सदस्य मौके से भाग गए। आरोप लगाया जा रहा है अतिक्रमण हटाने के दौरान गांव के कुछ दबंगों ने झोपड़ी में आग लगा दी थी। नेहा की शादी होने वाली थी।
घटना के बाद गांव में तनाव की स्थिति है। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। देर रात तक गांव में उपद्रव होता रहा। घटना की जानकारी लगने पर कानपुर कमिश्नर राज शेखर, डीएम नेहा जैन, ADG आलोक कुमार समेत अन्य अफसर गांव पहुंचे।
पीड़ित परिवार के सदस्यों ने सब-डिविजल मजिस्ट्रेट (मैथा) ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल सिंह और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) नेहा जैन और पुलिस अधीक्षक (एसपी) बीबीजीटीएस मूर्ति के समक्ष अपनी मांग रखी।
अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय लोगों ने गेंदन लाल के खिलाफ ग्राम समाज भूमि पर अतिक्रमण करने पर डीएम से शिकायत की थी।
तस्वीर-देर रात घटना स्थल पर राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला भी पहुंचीं।
एसपी ने कहा कि अधिकारी अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाने के लिए गांव गए थे, तभी मां-बेटी ने अपनी झोपड़ी के अंदर खुद को आग लगा ली। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, सपा ने इसे हत्या बताते हुए प्रशासन को असंवेदनशील ठहराया। इसमें कहा गया कि योगी (आदित्यनाथ) सरकार में ब्राह्मण परिवारों को निशाना बनाया जाता है और ऐसी घटनाएं चुनिंदा तरीके से हो रही हैं। दलितों और पिछड़ों की तरह ब्राह्मण भी योगी सरकार के अत्याचारों के निशाने पर हैं।
तस्वीर-लोगों को समझाते कानपुर कमिश्नर राज शेखर।
बताया जाता है कि गेंदनलाल ने गांव के ही कृष्ण गोपाल दीक्षित, अंश दीक्षित, शिवम आदि के खिलाफ जमीन पर कब्जे को लेकर शिकायत की थी। इस पर 13 जनवरी को एसडीएम मैथा के दिशा-निर्देश पर कब्जा करके बनाए गए मकान को गिरवा दिया था। इसी बात को लेकर दोनों गुटों में विवाद चला आ रहा था।
घटना के बाद धरने पर बैठे आक्रोशित लोग। आरोप है कि घर में दबंगों ने आग लगाई, तो मौके पर मौजूद अधिकारी-कर्मचारी भाग गए।