सार
ममता बनर्जी मुख्यमंत्री तो बन गई हैं लेकिन वह विधानसभा की सदस्य नहीं है। क्योंकि राज्य में विधान परिषद है नहीं इसलिए वह विधान परिषद सदस्य बनकर भी सदन में नहीं पहुंच सकती हैं।
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में उप चुनाव कराने के लिए टीएमसी नेताओं ने आज सांसद सौगत रॉय के नेतृत्व में चुनाव आयोग के पास पहुंचा। टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने राज्य की खाली विधानसभा सीटों पर जल्द से जल्द उप चुनाव कराने की मांग की है। सौगत रॉय ने कहा, ‘हमने चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया है कि पश्चिम बंगाल में सात सीटों पर जल्द से जल्द उपचुनाव काराया जाए।‘
टीएमसी उपचुनाव के लिए पहले भी दो बार आयोग पहुंच चुकी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं उप चुनाव कराने की मांग कई बार कर चुकी हैं।
उप चुनाव नहीं हुए तो ममता को देना पड़ेगा इस्तीफा
दरअसल, ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी हैं। लेकिन वह इस बार पहली बार विधानसभा चुनाव हार गई हैं। नंदीग्राम विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ी ममता बनर्जी को उनके पुराने सहयोगी और वर्तमान में बीजेपी के विधायक दल के नेता शुभेंदु अधिकारी ने हराया था।
चूंकि, ममता बनर्जी मुख्यमंत्री तो बन गई हैं लेकिन वह विधानसभा की सदस्य नहीं है। क्योंकि राज्य में विधान परिषद है नहीं इसलिए वह विधान परिषद सदस्य बनकर भी सदन में नहीं पहुंच सकती हैं। नियमों पर अगर गौर किया जाए तो उनको मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधायक होना अनिवार्य है। अगर वह विधायक नहीं चुनी जाती तो इस्तीफा देना पड़ सकता है।
71 दिन बचे लेकिन चुनाव आयोग ने साधी चुप्पी
ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 5 नवम्बर तक विधायक होना होगा। ऐसे में कहीं न कहीं से उनको उप चुनाव लड़ना होगा। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि उप चुनाव कराने का सारा दारोमदार चुनाव आयोग के पास है। ऐसे में चुनाव आयोग यह तय करेगा कि कब चुनाव होंगे। अगर महामारी या किन्हीं अन्य वजहों को बताते हुए चुनाव आयोग ने 5 नवम्बर के पहले उप चुनाव नहीं कराए तो ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं जिसका इंतजार बीजेपी कर रही है।
यह सीटें हैं पश्चिम बंगाल की खाली
भवानीपुर के अलावा दिनहाटा, सांतिपुर, समसेरगंज, खारदाह और जांगीपुर विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होना है। लेकिन उपचुनाव की तारीख को लेकर चुनाव आयोग चुप्पी साधे हुए है जबकि टीएमसी लगातार उप चुनाव कराने की मांग कर रही है।
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