सार
लॉकडाउन में फंसे प्रवासी श्रमिकों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने को लेकर डेस्टिनेशन स्टेट से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। गृह मंत्रालय ने अब ट्रेन को लेकर एक एसओपी जारी किया है। अब गंतव्य राज्यों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी।
नई दिल्ली. लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर ले जाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने को लेकर डेस्टिनेशन स्टेट से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। गृह मंत्रालय ने अब ट्रेन को लेकर एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम (एसओपी) जारी किया है। अब गंतव्य राज्यों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। रेलवे के प्रवक्ता राजेश बाजपेई ने कहा, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए टर्मिनेटिंग स्टेट की अनुमति जरूरी नहीं है। नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम (एसओपी) के बाद स्थिति यह है कि जहां ट्रेन का सफर खत्म होगा, उस राज्य की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है।
पहले क्या होता था?
पहले श्रमिक ट्रेनें राज्य सरकारों की मांग पर चल रही थीं। लोगों को भेजने वाली और बुलाने वाली राज्य सरकारों के परमीशन पर ही विशेष ट्रेनें चल रही थीं। शुरु और आखिरी स्टेशन के बीच में ट्रेन कहीं नहीं रुकती थी।
गोयल के बयान से विवाद
इससे पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था, रेलवे रोजाना 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाकर कामगारों को उनके घर पहुंचाने के लिये तैयार है, लेकिन दुख है कि कुछ राज्यों जैसे प.बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ, व झारखंड की सरकारों द्वारा इन ट्रेनों को अनुमति नही दी जा रही है, जिससे श्रमिकों को घर से दूर कष्ट सहना पड़ रहा है।
1565 श्रमिक ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं
प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए 1 मई से 1565 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर चुका है। इन ट्रेनों से 20 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया गया है।
रेलवे से बातचीत करें राज्य सरकारें
केंद्र ने राज्यों से प्रवासी मजदूरों को लाने-ले जाने के लिए रेलवे के साथ करीबी समन्वय कर और विशेष ट्रेन चलाने को कहा है। साथ ही कहा है कि महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जाए। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रशासनों को भेजे पत्र में कहा कि फंसे हुए मजदूरों के घर लौटने की सबसे बड़ी वजह कोविड-19 का खतरा और आजीविका गंवाने की आशंका है। उन्होंने पत्र में कहा, प्रवासी मजदूरों की चिंताओं को दूर करने के लिए राज्यों एवं रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय के माध्यम से और विशेष ट्रेन की व्यवस्था की जाए।