सार
तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने कहा है कि अगर भारत जैसा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनता है तो यह उनके लिए गर्व की बात होगी।
नई दिल्ली। तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने बड़े दिनों बाद भारतीय लोगों का दिल जीतने वाली बात कही है। एर्दोगन की छवि आमतौर पर भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के पक्ष में बात करने वाले नेता की रही है। पिछले दिनों तुर्किए में विनाशकारी भूकंप आया तो भारत ने आगे आकर मदद की। अब लगता है जैसे भारत को लेकर एर्दोगन का नजरिया बदला है।
एर्दोगन जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे। रविवार को उन्होंने कहा कि अगर भारत जैसा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का स्थायी सदस्य बनता है तो तुर्किए को गर्व होगा। एर्दोगन ने कहा कि सभी गैर-पी5 सदस्यों को बारी-बारी से सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने का अवसर मिलना चाहिए। बता दें कि जी20 शिखर सम्मेलन के साइड लाइन पर नरेंद्र मोदी और तैयप एर्दोगन के बीच बातचीत हुई थी।
एर्दोगन ने कहा- दुनिया पांच देशों से बड़ी है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका का जिक्र करते हुए एर्दोगन ने कहा, "दुनिया पांच से बड़ी है। हमें गर्व होगा अगर भारत जैसा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन जाए। हमारे कहने का मतलब यह है कि यह केवल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के बारे में नहीं है। हम सुरक्षा परिषद में सिर्फ इन पांच देशों को नहीं रखना चाहते।"
भारत कर रहा सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की मांग
गौरतलब है कि भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए आवाज उठा रहा है। भारत की मांग है कि उसे स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए। अमेरिका ने हाल ही में सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है।
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सुरक्षा परिषद की स्थापना दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुई थी। इसके पांच सदस्य (चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका) हैं। सुरक्षा परिषद की स्थापना दूसरे विश्व युद्ध के बाद की जरूरत को ध्यान में रखकर किया गया था। इसकी स्थापना इसलिए की गई थी कि आगे कभी विश्व युद्ध जैसी स्थिति पैदा नहीं हो। उस वक्त ताकतवर रहे देशों को इसका स्थायी सदस्य बनाया गया था।
विश्व युद्ध के बाद से लेकर अब तक दुनिया बदल गई है। भारत की मांग है कि बदले हुए वक्त के अनुसार संगठन में भी सुधार लाया जाए। सुरक्षा परिषद में कोई भी फैसला सभी पांचों सदस्य देशों की सहमति से होता है। किसी भी स्थायी सदस्य को अगर फैसला मंजूर नहीं हो तो वह वीटो लगा सकता है। वीटो लगाने पर प्रस्ताव पारित नहीं होता।
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