सार
विधानसभा अध्यक्ष ने बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना घोषित कर दिया था।
Real Shiv Sena issue: असली शिवसेना विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। शिवसेना यूबीटी ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष ने बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना घोषित कर दिया था। जून 2022 में बगावत के बाद शिवसेना के दोनों गुटों ने एक-दूसरे के खिलाफ अयोग्यता नोटिस दिया था।
2022 में हुई थी शिवसेना में बगावत
2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली थी। 20 जून 2022 में शिव सेना में टूट हुई थी। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी के कई विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। इसके चलते शिव सेना दो हिस्से में टूट गई और उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई। इसके बाद भाजपा के समर्थन से शिव सेना के शिंदे गुट ने सरकार बनाई और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने।
दलबदल विरोधी कानूनों के तहत एक-दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए शिंदे और ठाकरे गुटों ने स्पीकर के पास याचिकाएं दायर की। स्पीकर ने विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर फैसला सुनाने में देर की तो उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर 2023 को नार्वेकर के लिए अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 10 जनवरी कर दी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान की 10वीं अनुसूची की पवित्रता बनाए रखी जानी चाहिए। कोर्ट ने स्पीकर से 31 जनवरी 2024 तक अजीत पवार समूह के नौ विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की याचिका पर फैसला करने को भी कहा था।
स्पीकर ने कहा शिंदे गुट ही असली शिवसेना
असली शिवसेना पर फैसला सुनाते हुए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि 2013 और 2018 में शिवसेना में चुनाव नहीं हुआ। मैं स्पीकर के रूप में 10वीं धारा के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर रहा हूं। अनुसूची का क्षेत्राधिकार सीमित है। यह वेबसाइट पर उपलब्ध ईसीआई के रिकॉर्ड से आगे नहीं जा सकता है। इसलिए मैंने प्रासंगिक नेतृत्व संरचना का निर्धारण करते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया है। 21 जून 2022 को जो हुआ उसे समझना होगा। शिवसेना का एक गुट अलग हुआ। दोनों गुट असली शिवसेना होने का दावा कर रहे हैं। शिवसेना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला आखिरी है। 2018 का नेतृत्व शिवसेना संविधान के मुताबिक नहीं था। शिवसेना संविधान के अनुसार नेतृत्व का फैसला किया है। उद्धव का नेतृत्व 2018 संविधान के अनुसार नहीं। स्पीकर ने कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। शिंदे गुट के पास 37 विधायकों का बहुमत है। बंटवारे के समय 37 विधायक साथ थे। 22 जून के मुताबिक शिंदे गुट मान्य है। 21 जून 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरे तो शिंदे गुट ही असली शिवसेना राजनीतिक दल था।
यह भी पढ़ें: