सार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने कहा कि नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के भारत के प्रधानमंत्री (Indian Prime Minister) बनने से पहले देश हर क्षेत्र में लगातार नीचे जा रहा था। दुनिया (World) में देश का कोई सम्मान नहीं था, देश की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा (Intrinsic Safety) लचर थी। ऐसे माहौल में मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला और आज हम देखते हैं कि सात साल के अंदर सारी व्यवस्थाएं अपनी-अपनी जगह सही हैं। आजादी (Independence) के बाद मोदी एक ही राजनीतिक शख्शियत हैं, जिन पर हर प्रकार के आरोप लगाने की कोशिश की गई, लेकिन एक भी सिद्ध नहीं हो पाया। मोदी का जीवन पारदर्शी है, निजी कुछ भी नहीं है। यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। हर विरोध के साथ पीएम मोदी और मजबूत होते हैं। 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को केंद्र और राज्य (Gujrat) में सरकार चलाने के 20 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री (Union Home Minister) अमित शाह (Amit Shah) ने सरकारी न्यूज चैनल से खास बातचीत की। उन्होंने PM मोदी की जमकर तारीफ की और कहा- पीएम मोदी का जीवन हमेशा से सार्वजनिक रहा है। उन्होंने हमेशा से प्रशासन की बारीकियों को समझा है। शाह ने कहा कि मोदी के सार्वजनिक जीवन के तीन हिस्से किए जा सकते हैं। पहला- भाजपा (BJP) में आने के बाद संगठनात्मक काम का था। दूसरा- उनके गुजरात के मुख्यमंत्री काल का था और तीसरा- राष्ट्रीय राजनीति में आकर वो प्रधानमंत्री बने। शाह ने मोदी की लीडरशिप क्वालिटी (Leadership Quality) से लेकर उनकी आलोचनाओं से जुड़े सवालों पर भी जवाब दिए।

केंद्रीय गृह मंत्री ने उन आरोपों का जोरदार बचाव किया, जिसमें कहा जाता है कि मोदी कई बार तानाशाह या निरंकुश होते हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी लोग जो हम पर आरोप लगा रहे हैं, ये आरोप निराधार हैं। अपने दशकों लंबे जुड़ाव में मोदीजी जैसा श्रोता देखा ही नहीं है। वे किसी भी बैठक में कम से कम बोलते हैं, सबको धैर्यपूर्वक सुनते हैं और 2-3 बैठकों के बाद धैर्यपूर्वक निर्णय लेते हैं। शाह ने कहा- मोदीजी के जीवन में जो तीन बड़े-बड़े स्टेज थे, तीनों चुनौतीपूर्ण थे और उन्होंने बड़े धैर्य से और दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ तीनों चैलेंजों को सफलतापूर्वक पार किया। मैं मानता हूं कि उनकी लीडरशिप की ये बहुत बड़ा क्वालिटी है।

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‘हम बदलने के लिए सरकार में आए हैं, सरकार चलाने के लिए नहीं’
शाह ने कहा कि गुजरात में सबसे ज्यादा आदिवासी उपेक्षित थे। कांग्रेस ने उनका वोटबैंक की तरह इस्तेमाल तो किया लेकिन कभी उन तक विकास नहीं पहुंचाया। मोदी ने पहली बार 2003 के बजट में सारी बिखरी हुई योजनाओं को जोड़ा और संविधान के अनुसार उनकी जनसंख्या के हिसाब से उनको अधिकार दिए। शाह ने कहा कि मोदी जोखिम लेकर फैसले करते हैं, ये बात सही है। उनका मानना है और कई बार उन्होंने कहा भी है कि हम देश बदलने के लिए सरकार में आए हैं, केवल सरकार चलाने के लिए नहीं। हमारा लक्ष्य देश में परिवर्तन लाना है। शाह ने कहा कि 130 करोड़ की आबादी वाले विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को दुनिया में एक सम्मानजनक स्थान पर पहुंचाना है। मोदी के नहीं डरने का कारण यह है कि सत्ता में बने रहना उनका लक्ष्य नहीं है। एकमात्र लक्ष्य 'राष्ट्र प्रथम' को लेकर वो चलते हैं। मोदी ने देश की ढेर सारी समस्याओं को पारंपरिक सोच के अलग होकर हल किया, यही तो रिफॉर्म हैं। 

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मोदी ने संगठन के काम में भी सफलता के झंडे गाढ़े
शाह ने कहा, 'मोदीजी ने गुजरात के संगठन मंत्री के रूप में एक पक्ष की विश्वसनीयता जनमानस में कैसे बनाई जा सकती है उसका उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित किया। संगठन मंत्री बनने के महज एक साल के अंदर गुजरात बीजेपी की यात्रा शुरू हुई। 1990 में हम हिस्सेदारी में सरकार में आए। 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। 1995 में पूर्ण बहुमत में आए और वहां से बीजेपी ने आज तक पीछे मुंड़कर नहीं देखा है। 

भूकंप के बाद भुज का नव निर्माण कर दिया
आगे कहा- मुख्यमंत्री बनने के बाद मोदीजी ने बहुत धैर्य के साथ प्रशासन की बारीकियों को समझा, विशेषज्ञों को प्रशासन के साथ जोड़ा और सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाया। उनके कठोर परिश्रम, बारीक आयोजन, इंप्लीमेंटेशन के लिए एक दृढ़ता तीनों के कारण बीजेपी को खड़ा किया, जो भूकंप एक जमाने में बीजेपी के लिये धब्बा बन जाएगा- ऐसा लगता था वो भूकंप के विकास कार्य की पूरे विश्व ने सराहना की। आप भुज जाकर देख लीजिए। एक ओर लातूर का भी भूकंप है और भुज का भी है। पूरे भुज का नवनिर्माण हुआ, विकास दर उसके बाद 37% ज्यादा बढ़ी।

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हम समस्या को तत्काल एड्रेस करते हैं: शाह
शाह ने आगे कहा- 'मोदीजी के सफल मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान ना केवल गुजरात, बल्कि देशभर में आशा की एक किरण जागृत हुई कि मल्टीपार्टी डेमोक्रेटिक सिस्टम में कोई दोष नहीं है। ये सफल हो सकती है। डिलिवर कर सकती है अंतिम व्यक्ति तक जा सकती है। समस्याएं आती हैं, आंएगी भी, भविष्य में भी आएंगी। मगर आज मोदी की के प्रधानमंत्री बनने के बाद समस्या को एड्रेस किया जाता है, तत्काल एड्रेस किया जाता है, उसका समाधान निकालने का प्रयास किया और उसको संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ाया जाता है।

किसानों का खुलकर बचाव किया, कहा- हम उनका भला चाहते हैं
शाह ने किसानों के विरोध को लेकर भी पीएम मोदी का बचाव किया। कहा- पिछले साल पेश किए गए कानूनों के बारे में उनकी चिंताएं निराधार थीं और भाजपा सरकार ने उत्पादकों की मदद के लिए बड़े कदम उठाए थे। कुल मिलाकर 11 करोड़ किसानों को सालाना ₹6,000 मिल रहे हैं। एक साल के भीतर ₹1.5 लाख करोड़ किसानों को दिए गए हैं। 1.5 लाख करोड़ की यह धनराशि सीधे किसानों के पास जा रही है, और कोई बैंक ऋण शामिल नहीं है।