सार

अमेरिका ने भारत को पनडुब्बी खोजने वाले सोनोब्वाय बेचने की मंजूरी दे दी है। इससे MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर की क्षमता बढ़ेगी और दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाना आसान होगा।

नई दिल्ली। अमेरिकी सरकार ने भारत को सबमरीन खोजने वाले सोनोब्वाय (sonobuoys) बेचने की अनुमति दी है। इंडियन नेवी (Indian Navy) में शामिल किए गए मल्टी-मिशन एमएच-60आर सीहॉक हेलीकॉप्टरों के लिए लगभग 443 करोड़ रुपए के सोनोब्वाय और संबंधित उपकरणों की खरीद होगी।

सोनोब्वाय से MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर की पनडुब्बी तलाश करने की क्षमता बढ़ेगी। इसी साल मार्च में इंडियन नेवी में ये हेलीकॉप्टर शामिल हुए हैं। पनडुब्बी के शिकार के लिए बनाए गए इस हेलीकॉप्टर को MK-54 टॉरपीडो से लैस किया गया है।

भारत सरकार ने AN/SSQ-53G अधिक ऊंचाई वाले ASW sonobuoys, AN/SSQ-62F HAASW sonobuoys और AN/SSQ-36 sonobuoys के साथ-साथ इंजीनियरिंग, तकनीकी और लॉजिस्टिक सपोर्ट खरीदने का अनुरोध किया है।

क्या है सोनोब्वाय?

पनडुब्बी की सबसे बड़ी ताकत छिपकर हमला करना है। इन्हें लंबे समय तक घात लगाने और बिना नजर में आए अटैक करने के लिए बनाया गया है। अगर दुश्मन के पनडुब्बी का पता लगा लिया जाए तो उसे खत्म करना आसान होता है। दूसरी ओर अपने युद्धपोत की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है कि पनडुब्बी का पता लगाया जाए। सोनोब्वाय इसी काम के लिए बना है।

सोनोब्वाय पोर्टेबल सोनार सिस्टम है। इसे पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए विमान, हेलिकॉप्टर या युद्धपोत से पानी में डाला जाता है। सोनोबॉय के तीन मुख्य प्रकार (एक्टिव, पैसिव और स्पेशल पर्पस सोनोबॉय) हैं।

कैसे चीन-पाकिस्तान की बढ़ेगी टेंशन?
हिंद महासागर में चीन की नौसेना की सक्रियता बढ़ी है। दूसरी तरह पाकिस्तान की नौसेना भी भारत के लिए चुनौती है। दोनों देशों के युद्धपोत का पता भारतीय नौसेना अपने रडार, पी8आई विमान और सी गार्डियन ड्रोन से लगाती है, लेकिन पानी के अंदर छिपी रहने वाली पनडुब्बियां अधिक चुनौती पेश करती हैं।

पनडुब्बी के खिलाफ होने वाली लड़ाई में सबसे अधिक महत्वपूर्ण उसे वक्त रहते खोज पाना होता है। इसके लिए इंडियन नेवी ने अपने युद्धपोत पर MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं। ये युद्धपोत के आगे उड़कर पानी की छानबीन करते हैं। पता लगाते हैं कि कहीं कोई पनडुब्बी तो नहीं छिपी है।

अमेरिकी सोनोब्वाय से चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बी को तलाश करने की भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ेगी। इसके चलते उन्हें वक्त रहते देख पाना और जरूरत पड़ने पर नष्ट करना संभव होगा।

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