Waqf (Amendment) Act 2025 को लेकर Supreme Court में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि संसद द्वारा बनाए गए कानून पर आंशिक या पूर्ण रोक नहीं लगाई जा सकती। सरकार ने संविधानिक संतुलन और कानून की वैधता का हवाला दिया। जानिए पूरी खबर।
Waqf Law Supreme Court Hearing: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा कि संसद द्वारा बनाए गए Waqf (Amendment) Act 2025 पर किसी भी तरह की आंशिक या पूर्ण अंतरिम रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। सरकार ने कहा कि ऐसा करना संविधान में स्थापित शक्ति विभाजन के संतुलन को प्रभावित करेगा।
सरकार की क्या थी सुप्रीम कोर्ट में दलील
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने दलील दी कि जब कोई कानून संसद द्वारा बनाया गया हो तो उसके पीछे उसकी संवैधानिक वैधता (presumption of constitutionality) मानी जाती है। ऐसे में किसी भी प्रावधान पर रोक न्यायपालिका द्वारा विधायिका की शक्तियों में हस्तक्षेप होगा।सरकार ने आगे कहा कि यह कानून एक संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) की सिफारिशों पर आधारित है और दोनों सदनों में व्यापक बहस के बाद पारित हुआ है।
SC ने पिछली सुनवाई में जताई थी चिंता, सरकार ने मांगा था समय
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया था कि क्या वह हिंदू मंदिर बोर्ड में मुस्लिम सदस्यों को स्वीकार करेगा, जैसे नए वक्फ कानून में गैर-मुस्लिमों को Central Waqf Council और राज्य वक्फ बोर्डों में सदस्य बनाने की बात कही गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने हिंसा की घटनाओं-जैसे बंगाल में मौतें और लखनऊ में झड़पें-को ध्यान में रखते हुए कानून पर अंतरिम रोक का संकेत दिया था लेकिन सरकार द्वारा अतिरिक्त समय मांगे जाने के बाद वह रोक टाल दी गई थी।
सरकार ने दी थी आश्वासन कि कोई नई वक्फ नियुक्ति नहीं, संपत्ति की स्थिति यथावत
महत्वपूर्ण रूप से सरकार ने कोर्ट को यह भरोसा दिलाया कि फिलहाल किसी भी वक्फ संपत्ति की स्थिति नहीं बदली जाएगी और कोई नई वक्फ नियुक्ति (Waqf Appointment) नहीं होगी।
कांग्रेस, JDU, DMK समेत कई विपक्षी दलों की आपत्तियां
इस कानून को चुनौती देने वालों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), डीएमके (DMK), भाकपा (CPI), और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JDU) शामिल हैं। जेडीयू इस वक्त बीजेपी की सहयोगी है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) होने वाले हैं।
Jamiat Ulema-e-Hind और AIMPLB ने भी जताई आपत्ति
धार्मिक संगठन जैसे जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं। कुछ याचिकाकर्ताओं ने कानून को पूरी तरह रद्द करने की मांग की है जबकि कुछ ने सिर्फ उसकी कार्यान्वयन पर रोक लगाने की अपील की है।
