सार
डिजिटल गिरफ़्तारी के ज़रिए ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। अनजान नंबरों से कॉल कर झूठे आरोपों में फंसाकर पैसे ऐंठे जा रहे हैं। जानें कैसे होता है ये स्कैम और इससे बचने के क्या तरीके हैं।
डिजिटल अरेस्ट...ये वो शब्द है, जो इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में है। आज के वक्त में डिजिटल अरेस्ट स्कैमर्स का नया हथियार बन चुका है। वैसे तो इस तरीके से ठगी के कई जरिये हैं, लेकिन ठग सबसे ज्यादा जो अपना रहे हैं, वो अनजान नंबर से कॉल करके किसी शख्स को गिरफ्तार करने का झूठा दावा करना है। डिजिटल अरेस्ट को समझने से पहले हाल ही में हुए कुछ केसों के बारे में जानना बेहद जरूरी है।
केस नंबर 1 - दंपत्ती को 48 घंटे तक बंधक बनाया
जगह - भोपाल
कब - 1 दिसंबर, 2024
साइबर ठगी करने वालों ने भोपाल में एक बुजुर्ग डॉक्टर दंपत्ती को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देते हुए 48 घंटों तक घर में ही डिजिटल अरेस्ट (बंधक) बनाए रखा। इस दौरान ठगों ने मोबाइल पर कॉल कर कहा- हम सीबीआई ऑफिसर बोल रहे हैं। आपके बैंक खाते का गलत तरीके से इस्तेमाल हुआ है। इसके बाद ठगों ने दंपत्ती से NEFT के जरिये 10.50 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए।
केस नंबर 2 - इंजीनियर से 11.8 करोड़ ठगे
जगह - बेंगलुरू
कब - 11 नवंबर, 2024
बेंगलुरु में 39 साल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को'डिजिटल अरेस्ट' कर जालसाजों ने उससे 11.8 करोड़ रुपये ठग लिए। ठगी करने वालों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को ये कहते हुए फोन लगाया कि उसके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल कर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बैंक अकाउंट खोलने में किया गया है। दरअसल, इंजीनियर को 11 नवंबर के दिन एक शख्स का फोन आया, जिसने खुद को पुलिस ऑफिसर बताते हुए कहा कि उनके आधार का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बैंक खाता खोलने में किया गया है। बाद में धमकी दी गई कि जांच में सहयोग नहीं किया तो गिरफ्तारी होगी। इसके बाद इंजीनियर ने डर के चलते जालसाजों के अलग-अलग खातों में कई बार में 11.8 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए।
'डिजिटल अरेस्ट' आखिर है क्या?
'डिजिटल अरेस्ट' एक साइबर स्कैम या पैसा ठगने की भ्रामक रणनीति है, जिसमें अपराधी अक्सर फोन या ऑनलाइन कम्युनिकेशन के जरिये पहले तो सामने वाले को गिरफ्तार करने का झूठा दावा करते हैं और बाद में उसे डरा-धमका कर पैसे ऐंठते हैं। डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फोन करने वाले कभी पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई या किसी दूसरी एजेंसी के अधिकारी बनकर पूरे कॉन्फिडेंस से बात करते हैं, जिससे सामने वाला उन्हें असली समझकर अपनी गाढ़ी कमाई लुटा बैठता है।
कैसे करते हैं 'डिजिटल अरेस्ट'
- किसी अनजान नंबर से WhatsApp पर वीडियो कॉल आती है।
- इसके बाद सामने वाले को किसी बड़े केस में फंसने के नाम पर डराया जाता है।
- जांच के नाम पर धमकी देकर लोगों को कैमरे के सामने ही रहने को कहा जाता है।
- वीडियो कॉल करने वाले का बैकग्राउंड पुलिस थाने या किसी जांच एजेंसी के दफ्तर जैसा दिखता है।
- पीड़ित को लगता है कि पुलिस उससे ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन कर रही है।
- इसके बाद पुलिस केस और गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे मांगे जाते हैं।
- लोग डर और बदनामी से बचने के लिए अपनी गाढ़ी कमाई लुटेरों को दे देते हैं।
'डिजिटल अरेस्ट स्कैम' को कैसे पहचानें?
- सरकारी एजेंसियां ऑफिशियल कम्युनिकेशन के लिए कभी भी वाट्सएप या स्काइप जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल नहीं करतीं हैं।
- पुलिस कभी भी Watsapp कॉल नहीं करती है।
- FIR की कॉपी कभी वॉट्सएप पर नहीं भेजी जाती।
- पुलिस कभी भी पैसे की डिमांड नहीं करती।
- पुलिस कॉल के दौरान दूसरे लोगों से बात करने से नहीं रोकती।
'डिजिटल अरेस्ट' से कैसे बचें
- ठग फोन पर आपको वो गलतियां बताएंगे, जिनके बारे में आपको पता नहीं हो। अगर आपके साथ ऐसा कुछ होता है तो ठगों के झांसे में न आएं।
- ठग ज्यादातर CBI, ED, TRI, RBI नारकोटिक्स, साइबर क्राइम, इनकम टैक्स ऑफिसर के नाम से कॉल करेंगे। आप फौरन सचेत हो जाएं।
- कॉल करने वाला आपको ऐप डाउनलोड करने को कहे, तो कतई न करें।
- गलती से ऐप डाउनलोड कर लिया है तो फौरन अनइंस्टॉल करें। इसके बाद फोन फॉर्मेट कर एंटीवायरस डालें।
- अनजान नंबर से कॉल या वीडियो कॉल रिसीव करने पर धमकी देने, डराने या केस में फंसाने की बात करने वाले से डरें नहीं। कॉल काट दें।
- ऐसे कॉल या धमकी आने पर तत्काल परिचित को बताएं। इससे आपका तनाव और डर दूर होगा।
डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने पर कहां करें शिकायत
- फौरन साइबर सेल और पुलिस में शिकायत करें। ऑलनाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए 112 या 1930 पर कॉल करें।
- यहां बैठी साइबर टीम का सभी बैंकों के नोडल ऑफिसर से टाइ-अप है।
शिकायत मिलते ही साइबर टीम बैंक नोडल ऑफिसर को सूचना देगी और नोडल ऑफिसर तत्काल पेमेंट रुकवा देते हैं।
- इसके अलावा गृह मंत्रालय के साइबर पोर्टल https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर लिखित में शिकायत करें।
- 55 बैंक्स, ई-वॉलेट्स, ई-कॉमर्स साइट्स, पेमेंट गेटवेज व अन्य संस्थानों ने मिलकर एक इंटरकनेक्ट प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जिसका नाम 'सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग सिस्टम' है।
- इस प्लेटफॉर्म के जरिए बेहद कम समय में ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड्स के शिकार लोगों की हेल्प की जाती है।
मोबाइल पर दी जा रही अलर्ट कॉल
सावधान! अगर आपको अनजाने नंबरों से पुलिस, सीबीआई, कस्टम या जजों के फोन कॉल्स आते हैं तो आप इन नंबरों की शिकायत ऑनलाइन हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें। गृह मंत्रालय ने किसी भी फोन कॉल के पहले एक रिकॉर्डेड संदेश शुरू किया है, जिसमें इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए अलर्ट किया जा रहा है।
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