Pegasus Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्पाईवेयर (Spyware) का उपयोग गलत नहीं, लेकिन इसका दुरुपयोग नागरिक समाज पर नहीं होना चाहिए।
Pegasus Spyware Case: पेगासस (Pegasus) जासूसी विवाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सत्ता पक्ष को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नेशनल सिक्योरिटी के लिए यदि सरकार स्पाईवेयर का इस्तेमाल करती है तो वह गलत नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इसका इस्तेमाल सिविल सोसाइटी के लिए किया जाना, उनकी निगरानी किया जाना गंभीर चिंता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट के बयान के बाद जेहन में सवाल उठता है कि आखिर क्या है पेगासस स्पाईवेयर केस, क्यों भारत में इसको लेकर हंगामा हो रहा।
पहले जानिए क्या है पेगासस स्पाईवेयर केस?
साल 2021 की बात है। 17 मीडिया संस्थानों की एक इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि भारत में 50 हजार से अधिक मोबाइल नंबर्स को पेगासस के जरिए निगरानी में रखा गया है। यानी इन नंबरों से जासूसी की जा रही है। भारत में हंगामा उस समय और तेज हो गया जब सामने आया कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी सहित देश के तमाम राजनेता, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता पेगासस जासूसी कांड के निशाने पर थे। कई दिनों तक संसद में भी हंगामा होता रहा। हालांकि, सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि किसी भी निगरानी के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने 29 फोनों की जांच की थी जिनमें पेगासस का कोई प्रमाण नहीं मिला जबकि पांच में मालवेयर की मौजूदगी पाई गई।
पेगासस जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी, व्यक्तिगत रूप से अपना-अपना जाना जा सकता
इस जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर टेक्निकल कमेटी की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की गई। हालांकि, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसकी तकनीकी समिति की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा सकती क्योंकि यह देश की संप्रभुता और सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जिस रिपोर्ट का संबंध देश की सुरक्षा और संप्रभुता से हो, वह सार्वजनिक नहीं हो सकती। लेकिन जो व्यक्ति यह जानना चाहते हैं कि वे निगरानी में थे या नहीं, उन्हें यह जानकारी दी जा सकती है।
'हर व्यक्ति की आशंका सुनी जाएगी'
यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि उसके फोन पर पेगासस के जरिए निगरानी की गई, तो वह कोर्ट का रुख कर सकता है। कोर्ट ने भरोसा दिलाया कि ऐसे मामलों में व्यक्ति को जवाब मिलेगा।
'देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता'
बेंच में शामिल जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह ने कहा कि अगर देश अपनी सुरक्षा के लिए स्पाईवेयर का इस्तेमाल करता है तो इसमें कोई बुराई नहीं। सवाल यह है कि इसका उपयोग किसके खिलाफ हो रहा है। अगर इसका उपयोग नागरिक समाज के लोगों पर होता है तो यह जरूर देखा जाएगा।
रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग
वरिष्ठ वकील श्याम दीवान (Shyam Divan), जो याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए, ने कहा कि पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह संभव नहीं होगा।
सरकार का पक्ष: आतंकियों के खिलाफ पेगासस के उपयोग पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि अगर पेगासस का इस्तेमाल आतंकियों के खिलाफ हो रहा है, तो इसमें क्या आपत्ति हो सकती है? आतंकियों को प्राइवेसी का अधिकार नहीं है।
