सार
चुनाव आयोग को लिखे पत्र में टीम शिंदे ने दावा किया कि उसके पास 55 में से 40 विधायकों और 18 लोकसभा सांसदों में से 12 का समर्थन है। इसलिए शिवसेना पर उनका हक है। जबकि उद्धव ठाकरे गुट का दावा है कि संगठन पर पूरा होल्ड उनका है। कुछ विधायक या एमपी के जाने की वजह से संगठन किसी अन्य का नहीं हो सकता।
नई दिल्ली। शिवसेना (Shiv Sena) का असली हकदार कौन होगा? पार्टी पर किसका नियंत्रण होगा, इसके लिए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के बीच लड़ाई एक नए चरण में चली गई है। दोनों गुटों को शिवसेना पर हक साबित करने के लिए दस्तावेजी सबूत देने होंगे कि पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा। चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को 8 अगस्त तक दस्तावेज देने को कहा है, जिसके बाद संवैधानिक संस्था मामले की सुनवाई करेगी। दोनों पक्षों को पार्टी में विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया व अन्य विवरण देते हुए लिखित बयान भी देना होगा।
शिवसेना में बगावत के बाद दोनों गुट कर रहे दावा
दरअसल, शिवसेना के करीब 40 विधायकों ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी। बागी विधायकों के चलते ठाकरे सरकार गिर गई थी। उद्धव ठाकरे के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद महा विकास अघाड़ी सरकार की महाराष्ट्र से विदाई हो गई थी।
इसके बाद बागी विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया। बीजेपी के समर्थन से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनें और उप मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ली थी।
एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को लिखा है पत्र
चुनाव आयोग को लिखे पत्र में टीम शिंदे ने दावा किया कि उसके पास 55 में से 40 विधायकों और 18 लोकसभा सांसदों में से 12 का समर्थन है। इसलिए शिवसेना पर उनका हक है।
क्या कहा है चुनाव आयोग ने?
चुनाव आयोग ने दोनों खेमों को नोटिस भेजा है। आयोग की नोटिस में कहा है कि शिवसेना में स्पष्ट विभाजन दिख रहा है। दोनों पक्ष अपना अपना दावा पार्टी पर कर रहे हैं। एक समूह का नेतृत्व एकनाथ शिंदे कर रहे है तो दूसरे का उद्धव ठाकरे नेतृत्व कर रहे हैं। दोनों समूहों से आशा की जाती है कि वह अपने पक्ष में दावा करते हुए दस्तावेजों और साक्ष्यों को प्रस्तुत करें ताकि दोनों पक्षों को सुनने के बाद अगला कदम उठाया जा सके।
शिंदे खेमा चाहता है ठाकरे टीम को अयोग्य ठहराना
शिंदे खेमे ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से टीम ठाकरे को अयोग्य ठहराने को कहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को टीम ठाकरे की अयोग्यता की मांग करने वाली याचिका पर आगे नहीं बढ़ने के लिए कहा था। जबकि शिंदे खेमे ने कहा है कि पिछले महीने विश्वास मत और अध्यक्ष के चुनाव के दौरान पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करने के लिए उनके शिवसेना प्रतिद्वंद्वियों को अयोग्य घोषित करने की आवश्यकता है।
1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र (Maharashtra) मामले की अहम सुनवाई 1 अगस्त हो अब होगी। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की तरफ से दायर याचिका पर विधायकों की अयोग्यता के मामले पर कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इससे पहले की सुनवाई ने कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को अयोग्यता नोटिस पर फैसला लेने से रोका था। कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोर्ट की तरफ से कोई फैसला नहीं हो जाता है तब तक याचिका पर कोई सुनवाई नहीं करें।
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