सार

रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज ने हाल ही में एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि उनके अलावा 2 आर्टिस्ट और थे जो साथ रहते थे। लेकिन मूर्ति को लेकर तीनों के बीच कभी कोई चर्चा नहीं होती थी। 

Arun Yogiraj Exclusive Interview: 22 जनवरी को अयोध्या में बड़े धूमधाम के साथ रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। रामलला की मूर्ति कर्नाटक के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है। एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा से बातचीत के दौरान योगीराज ने बताया कि उनके अलावा दो और आर्टिस्ट थे, जिन्हें मूर्ति बनाने का काम मिला था। तीनों साथ में रहते थे, लेकिन मूर्ति को लेकर आपस में कोई चर्चा नहीं करते थे।

जानें क्यों मूर्ति को लेकर एक-दूसरे से बात नहीं करते थे तीनों आर्टिस्ट

अरुण योगीराज के मुताबिक, मैं जीएल भट्ट सर को जानता हूं, क्योंकि वो भी कर्नाटक से हैं। लेकिन मैं सत्यनारायण पांडे के बारे में नहीं जानता। हम तीनों लोगों को अयोध्या में एक ही जगह पर ठहराया गया था। लेकिन हमने फैसला किया था कि मूर्ति के बारे में एक-दूसरे से बिल्कुल भी बातचीत नहीं करेंगे, क्योंकि हमें राष्ट्र को सबसे बेहतर, अलग, वर्सेटाइल और यूनिक चीज देनी थी।

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एक-दूसरे से 500 मीटर दूर थी कार्यशाला

अरुण योगीराज ने इंटरव्यू के दौरान बताया- हम तीनों दुनियाभर की तमाम बातें करते थे, लेकिन मूर्ति को लेकर कभी कोई डिस्कशन नहीं होता था। तीनों लोग साथ में रहते थे। हमारा नाश्ता, लंच, डिनर सब साथ में होता था। लेकिन हमारी कार्यशाला एक-दूसरे से 500 मीटर की दूरी पर थी। तो इस तरह से काम के दौरान हम लोग कभी न तो एक-दूसरे को देखते थे और ना ही मिलते थे।

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कौन हैं अरुण योगीराज?

अरुण योगीराज कर्नाटक स्थित मैसूर के रहने वाले हैं। उनका परिवार पिछले 250 साल से मूर्तिकला का काम कर रहा है। अरुण योगीराज अपने खानदान में पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। शुरुआत में अरुण योगीराज पिता और दादा की तरह मूर्तियां बनाने के पेशे में नहीं आना चाहते थे। यही वजह रही कि उन्होंने 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA किया और बाद में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करने लगे। हालांकि, 9 से 5 की जॉब में वे संतुष्ट नहीं थे, इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से खुद को मूर्तिकला के काम में समर्पित कर दिया। योगीराज ने अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया और आज देश के सबसे बड़े मूर्तिकारों में शामिल हैं।

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